QUOTES ON #दर_बदर

#दर_बदर quotes

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16 NOV 2020 AT 20:13

दर बदर भटकता रहा उसकी ग़ैरत के बाद
🤲
कोई फ़िर से ले आओ उसे कि इश्क़ मुकम्मल हो जाए

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30 SEP 2024 AT 8:24

मेरे मालिक इन भरे बाजारों से क्या होता है?
रोटीयां नसीब नही जिनको बेचारों का क्या होता है?

दुनियां जिसे घर कहती है चारदीवारों से क्या होता है?
जो बेघर घूमते हैं बंजारों का क्या होता है?

ख़ुदा -या- इन ऊँची-ऊँची मिनारों से क्या होता हैं?
जिनका कोई सहारा नही बेसहारों का क्या होता है?

रोज आती जाती इन सरकारों से क्या होता है?
जो दर बदर भटकते बेरोजगारों का क्या होता है?

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मेरे सुकून की तलाश तुम पर ख़त्म होती है,
अब दर-ब-दर भटकना छोड़ दिया हमने।।

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25 JUL 2021 AT 16:43

ख़ुदा जाने कब होगा मुकम्मल ठिकाना,

अभी तो कट रही उम्र हिजरत में।

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जब तक आग रही चूल्हे की शोभा थी,
अब बनी रकान तो दर बदर,
व्यापारी, अभिनेता, नेता सब सोने में,
जो बना किसान तो दर बदर,
नीयत, कर्म, जब ठीक थे तो मौज थी,
हुआ अभिमान तो दर बदर,
घर का आँगन चहकता, सब साथ थे,
जो हुआ मकान तो दर बदर,
जब हम दो, एक हुआ करते, दिल से,
तुमसे बिछड़ा श्योरान तो दर बदर,
श्योराण✍️

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8 JUN 2022 AT 13:37

मैं चाहता नही था मगर हो रहा था
मेरा इश्क़ उसपर बेअसर हो रहा था

मैं बस एक उसका दर पाने के वास्ते
अपने ही लोगों में दर-बदर हो रहा था

उसके इश्क में इतना मशरूफ रहता था
की मैं अपने हाल से बेखबर हो रहा था

उसके सपने देख-देखकर मैं विरान हो गया
और उसका कहीं आबाद शहर हो रहा था

वही शख्स जिसके लिए मैं शहद जैसा था
वही शख्स जिसके लिए मैं जहर हो रहा था

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दर-बदर भटकता हूँ कहीं टिकता नहीं
क्या करूँ साहब ? मजदूर हूँ ! इसीलिए कभी रुकता नहीं।

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11 NOV 2020 AT 12:00

फ़िरता हूँ मैं दर ब-दर न जाने किस वजह से
क़रार मुझको आता ही नही किसी जगह से

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10 APR 2020 AT 21:13

रात धड़का था दिल जोर से,

ख्वाहिशें भटकी थीं दर-बदर

कल एक शोर उठा था वहां

खामोशी है अब इधर-उधर।

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