वह दोस्त हैं जो हर उम्र पर चर्चा करते हैं,
चालीस की उम्र पर साठ का तजुर्बा रखते हैं,
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धुंध जमीं है इर्द गिर्द मेरे,
हटाना चाहता हूँ...
कुछ दिन ही सही जिंदगी
मैं जीना चाहता हूँ..-
आप धड़कन हो मेरी इसलिए जी रहा हूँ मैं !
दिल का मेरी सांसों से किनारा किये सदियों हुआ।
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आप धड़कन हो मेरी इसलिए जी रहा हूँ मैं !
दिल का मेरी सांसों से किनारा किये सदियों हुआ।
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इश्क़ हमसे जिंदा है, कोई लैला को बता दे
मजनू उस दौर से निकल मेरी रूह में जिंदा है।
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मैं अगले बांध पर अवश्य मिलूंगा,
प्रतीक्षा को प्रतिकार न समझना।
झंझावातों के कलरव को जीवन में
कथानक का समापन न लिखना।-
रह-रह कर हिचकियों का दौर चल रहा है
क्या फिर कोई याद कर रहा किश्तों में मुझे?
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अब लहरों को इल्जाम दूं भी तो कैसे,
सुराख़ मेरी कश्ती में, क़ाश नहीं होते!-
काश खत्म हो जाए जिंदगी, अब जीने की इच्छा नहीं,
सब समझता हूँ मैं इश्क का सौदा, कभी सच्चा नहीं।।-
तेरी जिंदगी की किताब में एक पन्ना मेरे नाम का भी होगा..
कतरा ही सही मेरी चाहत का जिक्र तुमने कभी तो किया होगा-