अमित श्योराण गामड़ा  
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Joined 19 May 2019


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Joined 19 May 2019

इश्क़ होता तो अपनी पसंदीदा औरत से पूछता,
इश्क़ की बेहूदगी बिना हिचक जो बस उसी पूछी जा सकती,
कितना कुछ है लिखने को, मर मिटने को, सिखाने को,
छोड़ते ढीली डोर कि पतंग कितनी ऊँची जा सकती,

नौकझोंक, रूठना मनाना, लिपटन-बिछड़न सब,
ये एहसास ऐसा जिससे नावाक़िफ़ हैं हम अभी,
तन्हा दुनियादारी न लिखे तो क्या लिखे ऐसा शख़्स?
हमसे धरती से चाँद जितना दूर ही है सनम अभी,

ये सब बनावटी लिखा जाता है अभी तजुर्बे से नहीं,
कली जो मचली जाये मचलादे भँवरे को भी हद से आगे,
जाम ख़रीदो पी लो सब मौजूद है बाज़ार में आजकल,
मोहब्बत में कितना नशा जरा देखें बाक़ी मद के आगे,
श्योराण✍️

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वो शहद की पाली,
मैं नीम की डाली,
वो सूरज की लाली,
मैं चाँद की कालिख काली,
वो आँखों सी भरी प्याली,
मैं क़िस्मत सा ख़ाली,
उसने अपनी अपनी भाँप निकाली,
मैंने उसकी बात अपनी साख सँभाली,
वो बड़े बागों वाली,
मैं गमलों का माली,
उसने शब्द और ज़िद्द उठा ली,
उसकी सोच मैंने भी न टाली,
मैंने भी अर्ज़ी इसीलिए न डाली,
उसकी कौन-सा उम्र है बाली,
श्योराण✍️

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तुम हो, मैं हों और उम्र जवान हो,
हरे पेड़ों बीच छोटा सा मकान हो,

दिन ढले, चाँद निकले, शाह रात,
सुबह हो फिर बाँहों में हो सौग़ात,
इश्क़ पुरज़ोर से आँखें अनजान हो,

रेगिस्तान के टिब्बे सा तेरा रंग,
फूलों के बाग सा महकता अंग,
चेहरे की मुस्कान पे लबों के निशान हों,
श्योराण✍️

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दुनिया का दिया हर ग़म खा
अब उगल रहे हैं हम,
जिन नज़रों से नज़राना होता
खिलने की जगह खल रहे हैं हम,
दुनिया कुपोषित ने शोषित किया,
अब तेरे ख़्याल से पल रहे हैं हम,
ये एक शाम है फिर सुबह होगी,
सदा के लिए थोड़े न ढाल रहे हैं हम,
वहम है तेरा तुमने हमसे किनारा किया,
हरकतन ख़ुद टल रहे हैं हम,
गुलाबी सागर तेरे दीद को इस उम्मीद को,
तेरे सहारे फूल फल रहे हैं हम,
श्योराण✍️

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न इसका साथ न बाक़ी जन्म रहेंगे,
और फिर एक रोज़ न ही हम रहेंगे,
मेरे पास मेरा सब्र, मेरा कर्म होगा,
तेरे पास क्या?तेरे बनाये भ्रम रहेंगे,
श्योराण✍️

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औंहदा लेट, बिस्तर पर पड़ी पड़ी,
मैं बदलती रहती करवट घड़ी घड़ी,
दिन तो नेता के वादे जैसे बड़े बड़े,
रात भी सरकारी काम सी बड़ी बड़ी,

एक नज़र न रहती टेक,
आजकल आशिक़ी नज़रफ़ेंक,
दिलफेंक मोहब्बत वासना लिप्त,
सबक़ की ज़रूरत दो बड़ी छड़ी,
श्योराण✍️

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मनमाने मारे प्यार से ताने मारे,
न एक भी ख़ाली भरे खाने सारे,
उसका प्यार भज दिया जैसे हरि भजन है,
मुझे हर वक़्त ताने सखियाँ कि ओए तेरा साँवला सजन है,

एक बार करे अकड़ फिर प्यार की जकड़ में रखे,
कभी पीठ सहलाये कभी बालों की पकड़ में रखे,
त्वचा में यौवन तपन और आत्मा मगन है,
मुझे हर वक़्त ताने मारे सखियाँ कि ओए तेरा साँवला सजन है,

मेरी साख मेरे शोंक सब पूरे रंग का सोचती नहीं,
मैं बिन पिंजरे का परिंदा कभी पंख दबोचती नहीं,
ऐसे मिलते न साथी लड़कियाँ व्रत रख जाती मेरा भाग्य भगवन है,
मुझे हर वक़्त ताने मारे सखियाँ कि ओए तेरा साँवला सजन है,
श्योराण✍️

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दुनिया बिन छोर की कर दी दरकिनार,
बचा तो बस मैं और मेरे हज़ारों विचार,

याद आती आकर चली जाती है बस,
इसी सफ़र की बस में मुसाफ़िर सवार,

ये शासन, फर्जी धर्म हैं आपके चोंचले,
मेरा कर्म ही धर्म हम मौजी जाट ज़मींदार,

काटे नाई, जोड़े लोहार, छिलता बड़ई,
पेशे से सामूहिक भरतार हुआ मनिहार,

वैसे अकड़ पर पकड़ मेरी, आओ सबको इश्क़ बाँटू
जिसका जैसा मन ले जाओ अपने हैं खुले दरबार,
श्योराण✍️

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न किसी को जीतने न खुश करने आये हैं,
सोच, कलम के साथ विचार भी उठाये हैं,

न मैं वैसा न सफ़ाई देनी लोग जो सोचते,
तेरे अपने सवाली जवाब ख़ुद जो बनाये हैं,

इससे पहले आप पूछें कि मैं कौन, मैं मौन,
बोलूँ तो दर्द बिन बोले भी शोर हराये हैं,

ये इश्क़ के नफ़े नुक़सान हम क्या जाने,
जो बीता सह लिया थोड़े न रोज़ दिल लगाये हैं,
श्योराण✍️

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मंज़िल की उम्मीद और भटकने का डर चलता है,
रास्ते पीछे छूट जातें हैं, साथ तो सफ़र चलता है,
जिसे क़द्र होती है, कोशिश करते हैं अपनाने की,
टलने टालने वालों का बस अगर मगर चलता है,
श्योराण✍️

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