दिसंबर की रातें इसलिए भी लम्बी रखी गयी होगी,
ताकि इंसान सालभर मिले ग़म का रोना रो सके।-
कुछ भी लिखने के लिए बहुत गहराई में जाना पड़ता हैं,
और मेरा डूब जाने का इरादा बिल्कुल नहीं है।-
या तो आप दोस्त होते हैं या नहीं होते, अगर आप किसी को दोस्त मानते हैं तो, वो जैसा भी है उसको ऐसे ही स्वीकार करें, अगर आप उसमें कुछ अच्छा बदलाव लाना चाहते हैं तो ग़लत नहीं लेकिन अगर उस से नहीं हो पा रहा तो उसको उसके हाल पर छोड़ दें हर इंसान का दिमाग अलग होता है सोच अलग होती है, आपको दुसरों के सामने उसको जलील करना या कमियां बताना एक अच्छे दोस्त की पहचान नहीं हैं, आप भले ही अपनी नज़र में अच्छे रहो आपको लगे कि आप उसका भला सोच रहे मगर ज़रुरी नहीं सामने वाला भी ऐसा ही सोचे।
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बहुत कोशिशों के बाद भी चीज़े हाथों फिसलती जाती है, सोचता हूं मुझमें ही संभालने की सलाहियत नहीं है या फिर किस्मत को और ही कुछ मंजूर है।
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बिनोद इतना देख चुका कि
उसको मोतियाबिंद हो गया,
अब देख नहीं पा रहा है।
🥴🥴🥴-
पिता और बेटे का रिश्ता,
शांत और भावनात्मक होता है, एक दूसरे के लिए दिल में कितना भी प्यार हो मगर भी शब्दों में नहीं कह पाते, बहुत ज़रूरत पड़ने पर ही बात होती है नहीं तो ज्यादातर बात तो मॉं और बहन के जरिए ही होती है, कभी मॉं को बोल दिया पिता जी को ये बोल देना कभी बहन को बोल दिया।-
बाप बेटे का रिश्ता ऐसा होता है, जैसे किसी बस ड्राइवर और यात्री का, सफ़र साथ करते हैं, पर ज़रूरत से ज़्यादा बात नहीं होती।
( निर्मल पाठक की घर वापसी)-