या तो आप दोस्त होते हैं या नहीं होते, अगर आप किसी को दोस्त मानते हैं तो, वो जैसा भी है उसको ऐसे ही स्वीकार करें, अगर आप उसमें कुछ अच्छा बदलाव लाना चाहते हैं तो ग़लत नहीं लेकिन अगर उस से नहीं हो पा रहा तो उसको उसके हाल पर छोड़ दें हर इंसान का दिमाग अलग होता है सोच अलग होती है, आपको दुसरों के सामने उसको जलील करना या कमियां बताना एक अच्छे दोस्त की पहचान नहीं हैं, आप भले ही अपनी नज़र में अच्छे रहो आपको लगे कि आप उसका भला सोच रहे मगर ज़रुरी नहीं सामने वाला भी ऐसा ही सोचे।
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