QUOTES ON #दफ़्तर

#दफ़्तर quotes

Trending | Latest
8 MAY 2019 AT 19:31

ग़ालिब, फ़ैज़, मीर, जाॅन बड़े अफ़सर है तेरे इश्क़!
तेरे दफ़्तर का बस इक छोटा सा लिपिक हूं मैं तो

-


20 MAR 2018 AT 19:47

दफ़्तर की नौकरी में जी हुजूरी भी जरूरी है,
झूठी हाँ में हाँ मिलाने से, होती तरक्की पूरी है॥

-


27 AUG 2021 AT 8:55

ज़िंदगी हो या दफ़्तर ।
कोई किसी की जगह नहीं ले सकता ।
अपनी जगह स्वयं बनानी पड़ती है ।

-


27 JUL 2017 AT 12:45

सुन लो दुनिया वालों,
ये मेरा कहना हैं,
नारी इस समाज का एक क़ीमतों गहना हैं,
क्यूँ सोचते हो नारी कमज़ोर हैं,
नारी के हाथो में तो आज भी घर चलाने की डोर हैं,
दफ़्तर भी जाए, घर भी सम्भाले, बच्चों को भी देखे, मुश्किल वक़्त में पति को भी सम्भाले,
उसके कंधो में तो इतना ज़ोर हैं,
हौसला देख नारी का,
हर ज़ुल्म सहती हैं फिर भी कुछ नहीं कहती हैं,
दर्द में भी नारी सिर्फ़ मुस्कुराती रहती हैं,
अपनी ख़ुशी से पहले तेरी ख़ुशी चाहती हैं,
तेरी ज़िम्मेदारियाँ भी ये ख़ुद उठाती हैं,
इसलिए तो नारी देवी कहलाती हैं,
हैं हिम्मत को एक बार नारी की ज़िंदगी जीके देखो,
अपने मर्द होने के घमंड में तुम यूँही बड़ी बड़ी ना फेंको,
जब एक दिन भी तू नारी बनके ना काट पाएँगा,
तब तुझे नारी का असली महत्त्व समझ आएँगा,
पक्षपात करता आया हैं नारी के साथ आज तक,
ये तुझे एहसास हो जाएगा,
तू मोहताज हैं उसका वो तेरी मोहताज नहीं,
ये बात भी तू आँचें से समझ जाएँगा।

-


11 APR 2020 AT 18:14

तरसते थे तुम घर में रहने को कल तक,
ये आंगन सुहाता था दिल को तुम्हारे।
कभी तुम को फ़ुरसत भी मिलती नहीं थी,
कभी मिल के घर में न बैठे थे सारे।
लपकते थे घर की तरफ़ दफ़्तरों से।
था मुश्किल जुदा रहना अपने घरों से।
बताओ कि बेहतर है क्या आशियां से?
कहां जाओगे भाग कर तुम यहां से?
(दिनेश दधीचि)

-


20 MAR 2017 AT 19:13

ख़ूबसूरत झूठ

वो दोनो पिछले एक साल से एक ही दफ़्तर में काम करते थे। हल्की सी चाहत के इशारे दोनो तरफ़ से थे। आज पहली बार दोनो साथ खाने पर गये थे। खाने के बाद लड़के ने लड़की से पूछा, "कौन सी आइसक्रीम मंगाऊँ?"
लड़की ने झूठ बोला, "नहीं, आज मेरा गला ख़राब है। आइसक्रीम फिर कभी।"
लड़की ने लड़के को अपने पर्स में रुपये गिनते हुए पहले ही देख लिया था।
एक ख़ूबसूरत झूठ से शुरू हुआ उनका ये रिश्ता बहुत लम्बा चलने वाला था।

-सारिका

-


7 AUG 2020 AT 19:52

पगार की जगह, रोज उसका दीदार होता रहे बस.,
हम मुलाजिम से, उसके दिल-ए-दफ़्तर में रहते हैं..

-


24 JUL 2019 AT 10:48

इश्क़ होना भी लाज़मी हैं शायरी लिखने के लिए वरना..
क़लम ही लिखती तो हर दफ़्तर का बाबू ग़ालिब होता!!

-


1 JUN 2019 AT 10:22

शबो - रोज़ पे मेरे छाया हुआ है
ये दफ़्तर जो मुझ में समाया हुआ है
- आलोक यादव
शबो - रोज़ = रात - दिन

-


8 MAY 2022 AT 13:00

मैंने बंद कर दिए हैं भलाई के दफ़्तर सारे
कि इक बार मुझे दुनिया समझ में आ जाए

-