मत देखा करो तुम मुझे इन तिरछी नशीली निगाहों से
ये मेरा पत्थर सा दिल भी पिघल कर मोम हो जाता है
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मुझ पर यूं तिरछी नजर ना डाल तेरी
नजर आज भी घायल कर जाती है
यूं तो कुछ रहा नहीं तेरे मेरे दरमियां
पर आज भी तेरी नजर असर कर जाती है-
यूँ तिरछी नजर से देख कर
धड़कनों को मत बढ़ाया करो
नजर नहीं लगेगी बोल कर
बहाने न बनाया करो
यूँ दूर-दूर से मत निहारा करो
नजर तो मिलाया करो...-
उन निगाहों कि हरकत ने ही तो दीवाना बना डाला,
हम चिराग बनना चाहते थे हमें परवाना बना डाला।-
2122 1122 1122 22
आपको जब भी मुहब्बत की नज़र से देखा
आप ही आप दिखे हमको जिधर से देखा।
आपका रास्ता रोकें यही चाहा दिल ने
आपको जब भी निकलते हुए घर से देखा।
लुत्फ़ आता नहीं छुपकर हो मुहब्बत कब तक
देंगे आवाज़ गुजरते जो इधर से देखा।
आजकल आप नज़र हमसे चुराते हैं क्यों
छोड़ कर इस गली को जाते उधर से देखा।
दिल है घायल "रिया" मदहोश हुए जाते हैं
तीर चलते हुए जो तिरछी नज़र से देखा।-
यादों में आज भी उनका सुरूर है,
दिल के करीब रह के वो नजरों से दूर है।
माना कि आज उन्हें नफरत है हमसे,
लेकिन
तिरछी नजरों से आज भी देखते जरूर हैं।।-
उन्होंने आज हम पर
तिरछी नज़र डाली तो
हम मदहोश हो गए
बाद में पता चला कि,
उनकी नज़र ही तिरछी है
तो हम बेहोश हो गए....!-
चाल सीधी चलना पसन्द करता हूँ
पर प्यादा नहीं हूँ शतरंज का
बस सही वक्त का इंतजार करता हूँ
फिर चाल भी तिरछी चलता हूँ
और मार भी गहरा करता हूँ-