Kamlesh Kumar Jangid   (Kamal Speak)
1.1k Followers · 3.2k Following

I live in Jaipur,Rajasthan
I am Teacher.
Joined 7 May 2020


I live in Jaipur,Rajasthan
I am Teacher.
Joined 7 May 2020
19 JUN 2022 AT 12:44

हाल दिल का उसे सुनाते हुए
रो पड़ा था मैं मुसकुराते हुए...!

आसमां तक चला गया था मैं
एक दिन रास्ता बनाते हुए...!

भीगती जा रही थी इक लड़की
बारिशों में नशा मिलाते हुए...!

आग मेरी थी न धुआँ मेरा
मैं जला था उसे बचाते हुए...!

देर तक जब उदास रह लो तो
अच्छा लगता है मुसकुराते हुए...!

-


16 JAN 2022 AT 22:11

वो एक पागल सी लड़की !

अपने सपनों के पीछे भागती,
गिरती लडखडाती फिर संभलती ,
खुद में रमी यूं खुद से बात करती,
अटल है एक एक निश्चय ,
कभी ना पथ से वो भटकती ,
वो एक पागल सी लड़की...!
जुनून,जज्बा और हिम्मत है उसमे ,
करती हालतों को अपने बस में,
बुनती है हर रोज नए सपने ,
लड़ती है अंदर के तूफानों से ,
सुनती है दुनिया के ताने बाने ,
अड़ी है खड़ी है डटकर,ना करती बहाने
हां वो एक पागल सी लड़की
हां वो एक पागल सी पागल लड़की...!!

-


7 NOV 2021 AT 11:25

गुलाब: तुम मेरी ज़िन्दगी का कांटा हो
कांटा: तुम मेरी ज़िन्दगी का फूल हो...!

गुलाब: मैं खुशबु देती हूँ
कांटा: मैं तुम्हारी हिफाज़त करता हूँ...!

गुलाब: मुझे सब पसंद करते हैं
कांटा: और फिर फेंक देते हैं...!

गुलाब: तुम्हें कोई पसंद नहीं करता
कांटा: मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता...!

गुलाब: तुम चुभते हो
कांटा: हां,तुम्हारे लिए
उनको,जो तुम्हें तोड़ना चाहते है...!

गुलाब: मैं प्यार की निशानी हूँ
कांटा: और मैं प्यार की मिसाल हूँ...!

गुलाब: वो कैसे ?
कांटा: जब तुम मुरझा कर, सूख कर,
बेरंग हो जाओगी,
तब भी मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा...!

-


20 OCT 2021 AT 22:54

नज़र से उतरते गए वो
हवा में बिखरते गए वो...!

मुझे दूर करके नज़र से
हथेली से मिटते गए वो...!

कभी याद में शूल थे अब
चुभन से उतरते गए वो...!

मेरी आँख बेचैन करके
पलक से निकलते गए वो...!

मेरी ज़िन्दगी से अलग हो
मेरे दिल मे बसते गए वो...!

-


17 OCT 2021 AT 21:06

साधा काग़ज़ चेहरा तेरा
कोरा कोरा कागज़ मेरा...!

न पहरा हैं न कोई खड़ा
क्यू बंद हैं किवाड़ तेरा...!

आज तुझे अपना कर लू
तेरे लबों पर हैं नाम मेरा...!

मेरे अंदर घूमता रहता हैं
इधर उधर नक्श तेरा...!

आ और खिड़की खोल दे
करने दे आज दीदार तेरा...!

-


15 OCT 2021 AT 14:35

इक अजनबी मुलाक़ात थी वो
दो लम्हों की बात थी वो...!

ना सावन था न बदली थी
बिन बादल बरसात थी वो...!

कुछ तुमने कहाँ कुछ हमनें
कुछ अनकहे जज़्बात थे वो...!

दिख ना रहा था मंज़िलो को रास्ता
शायद आखिरी साथ था वो...!

खत्म हुआ सफ़र अरमानों का
ज़िंदगी की नई शुरुआत थी वो..!

आंखों में आंसू थे दोनो के
शायद आखिरी मुलाकात थी वो..!

-


6 OCT 2021 AT 10:38

पहना पुराना लिबाज़ हैं नए ख़्वाब हैं
मैं हँस के टाल देता हूँ दिल बेताब हैं...!

मोहब्बत क्या हैं इक तिश्नगी तो हैं
कि सहरा में चम चम चमकते आब हैं...!

नया किरदार बनाकर कहानी बदली मैंने
मग़र पूरी न हो पाई ख़्वाहिश ख़्वाब हैं...!

तुम्हारी याद से गहरा तालुक हैं मेरा
मेरी आँखों का क्या होगा ये सैलाब हैं...!

बस ये सोचकर रोक लिया ख़ुद को
बह न जाउ कही मैं ये तो जज़्बात हैं...!

ज़मी पर बैठ गया तो नींद आ जाएगी
अभी इन आँखों में बहुत से ख़्वाब हैं...!

-


5 OCT 2021 AT 19:13

प्रेम की बगिया में आज देखो,
चाहत की बुलबुल चहक रही है,

आज उनकी यादें बन के खुश्बू,
बार बार मेरी साँसों में महक रही है,

जली शमां फिर शाम को देखो,
कैसे परवानों पे दहक रही है,

नही वो डरते हैं मरने से वो,
ये तो कुर्बानी सी झलक रही है..!!

-


4 OCT 2021 AT 16:38

तुम और चाय

कुछ कुछ नहीं कुछ ज्यादा ही
समान लगते हो,तुम दोनों
तुम और चाय
नशा दोनों में उतना ही है
सुबह और शाम को
ताज़ा तुम्हारी तरह ही
मेरी एक प्याली भी करती है
यूँ तो ख़ामोश लगती है पर बातें हर एक
चुस्कियों के साथ करती है
उस मटमैली धूल जैसे रंग
और पागल करने वाली सुगंध
रोज याद दिलाती है तुम्हारी
हर घूँट में कहती है कि
वो, उसकी यादे, उसका साथ
मेरी प्याली चाय में रंवा है
महसूस कर और डूब जा इस नशे में
फिर एक घूँट पीने के बाद सोचता हूँ तुम
यही हो मेरे पास,कहीं नहीं गयी....!

-


4 OCT 2021 AT 8:05

मैं चाहता हूँ थोड़ा रुकूं
तुम्हारे पास और सुनूं तुम्हें...!

सुनना चाहता हूँ तुम्हारी आवाज़,
और तुम्हारे आवाज़ में मेरे पसंदीदा पुराने गीत...!

पढ़ना चाहता हूँ तुम्हारी लिखी
कविताएं और कुछ पंक्तियां...!

महसूस करना चाहता हूँ तुम्हें हमेशा अपने पास,
और जोड़ना चाहता हूँ तुम्हारे और मेरे एहसास...!

बंधना चाहता हूँ तुम्हारे प्रेम के बंधन में
और उलझना चाहता हूँ तुम्हारी यादों में...!

और चाहता हूँ तुम्हारी कहानी का
एक खूबसूरत हिस्सा बनना...!

-


Fetching Kamlesh Kumar Jangid Quotes