हाल दिल का उसे सुनाते हुए
रो पड़ा था मैं मुसकुराते हुए...!
आसमां तक चला गया था मैं
एक दिन रास्ता बनाते हुए...!
भीगती जा रही थी इक लड़की
बारिशों में नशा मिलाते हुए...!
आग मेरी थी न धुआँ मेरा
मैं जला था उसे बचाते हुए...!
देर तक जब उदास रह लो तो
अच्छा लगता है मुसकुराते हुए...!-
I am Teacher.
चेहरा देख के होती है
मोहब्बत सब को,
ये दिल की बात तो
बड़ी देर में आती है...!-
पगली सी
एक लड़की
शहर ये ख़फ़ा है,
वो चाहती है
पलकों पे
आसमान रखना...!-
मेरी कवितायें
जैसे जूठन हो गई है
तुम्हारे अधूरे प्रेम की...!-
तुम ही तुम दिखते हो
हमे कुछ तो हुआ ज़रूर है,
ये आईने की भूल है या
मेरी मस्त निगाहों का कसूर है...!-
कमाल का शख़्स था वो..
जिसने मेरी ज़िंदगी तबाह कर दी..
राज की बात है..
दिल उससे ख़फ़ा ..
आज भी नहीं ..!!-
वो एक पागल सी लड़की !
अपने सपनों के पीछे भागती,
गिरती लडखडाती फिर संभलती ,
खुद में रमी यूं खुद से बात करती,
अटल है एक एक निश्चय ,
कभी ना पथ से वो भटकती ,
वो एक पागल सी लड़की...!
जुनून,जज्बा और हिम्मत है उसमे ,
करती हालतों को अपने बस में,
बुनती है हर रोज नए सपने ,
लड़ती है अंदर के तूफानों से ,
सुनती है दुनिया के ताने बाने ,
अड़ी है खड़ी है डटकर,ना करती बहाने
हां वो एक पागल सी लड़की
हां वो एक पागल सी पागल लड़की...!!-
गुलाब: तुम मेरी ज़िन्दगी का कांटा हो
कांटा: तुम मेरी ज़िन्दगी का फूल हो...!
गुलाब: मैं खुशबु देती हूँ
कांटा: मैं तुम्हारी हिफाज़त करता हूँ...!
गुलाब: मुझे सब पसंद करते हैं
कांटा: और फिर फेंक देते हैं...!
गुलाब: तुम्हें कोई पसंद नहीं करता
कांटा: मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता...!
गुलाब: तुम चुभते हो
कांटा: हां,तुम्हारे लिए
उनको,जो तुम्हें तोड़ना चाहते है...!
गुलाब: मैं प्यार की निशानी हूँ
कांटा: और मैं प्यार की मिसाल हूँ...!
गुलाब: वो कैसे ?
कांटा: जब तुम मुरझा कर, सूख कर,
बेरंग हो जाओगी,
तब भी मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा...!
-
नज़र से उतरते गए वो
हवा में बिखरते गए वो...!
मुझे दूर करके नज़र से
हथेली से मिटते गए वो...!
कभी याद में शूल थे अब
चुभन से उतरते गए वो...!
मेरी आँख बेचैन करके
पलक से निकलते गए वो...!
मेरी ज़िन्दगी से अलग हो
मेरे दिल मे बसते गए वो...!-
साधा काग़ज़ चेहरा तेरा
कोरा कोरा कागज़ मेरा...!
न पहरा हैं न कोई खड़ा
क्यू बंद हैं किवाड़ तेरा...!
आज तुझे अपना कर लू
तेरे लबों पर हैं नाम मेरा...!
मेरे अंदर घूमता रहता हैं
इधर उधर नक्श तेरा...!
आ और खिड़की खोल दे
करने दे आज दीदार तेरा...!-