बेशक रंग जाओ
पर उनकी कोमलता भावनाओं में लाओ-
बारिश ने फ़ैला दी है जमीं पे मस्तियां,
पेड़ और पौधे भी ख़ुशी से झूम रहे हैं यहां ।
हवाओं में खुशबू बिखेर रही हैं फूल और कलियां,
धूप और बादल भी खेल रहे लुकाछिपी का खेल यहां।
मौसम भी हो गया है यहां मादक और सुहावना,
पी के फूलों का रस इतरा रहे है भवरें और तितलियां।
इंद्रधनुष भी दे रहा है सलामी आसमां में,
बोल रहा है डूब जाओ प्रकृति के आनंद में।।
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रंग मेरे ही रंग गयीं मुझे चूमकर जब तितलियाँ
मेरी सूखती हर पंखुड़ी में फिर से जवानी आ गई
मैं खिल रहा था बेवजह ही प्यार का मधुरस लिए
मुरझाये से दिल में हमारे मौजों की रवानी आ गई
अरमान जागे फिर हमारे मेरी महफिलें गुलज़ार हैं
मेरे रंगते -ए- रुखसार में तेरे पंखों सी बहारें छा गई
सब ख्वाब मेरे रंग गये तेरे नूर से सुन्दर रंगों में
घूमकर मेरे चमन में इश्क़ के बीज वो बिखरा गई
रुप परियों के सरीखे नाजुक बदन है तितलियों का
मैंने छू लिया हाथों से जब बड़ी जोर से शर्मा गई
रंग मेरे ही रंग गयीं मुझे चूमकर जब तितलियाँ
मेरी सूखती हर पंखुड़ी में फिर से जवानी आ गई
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तितलियों के रंग में,
रंगना सिखों,
उनकी तरह आजाद बनना सिखों।
जिन्हें कोई पकड़ नहीं सकता,
ऐसी उड़ान भरना सिखों।-
ना जाने कैसा लुभावना पन है की इनके रंगों में रंग जाने का दिल है और साथ ही एक बार फिर बच्ची बन कर इन रंग-बिरंगी तितलियों के पीछे भागने का मन है।
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सर्दियों की खूबसूरत धूप
अपनी रोशनी से दे जाती
है खुशी जैसे चेहरे पे हो नूर ।।
तो कभी बारिश की रिमझिम
बूंदे पड़ते ही मिट्टी पे दे जाती
है सौंधी सी खुश्बू ।।
रंग बिरंगी तितलियाँ
मोह लेती है मन को
रहती है वो फूलो
पे उनके रसपान को
जैसे हो उनके साथ जुस्तजू
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आज भी तितलियों से रंग लेके
उनके सपनों में भर देती हूँ
अपने हिस्से की खुशियों के पल भी उनके नाम कर दूँ
यही हर पल दुआ करती हूँ
माँ हूँ ना
दुनिया से लड़ जाती हूँ
पर बच्चों की खुशियों के आगे झुक जाती हूँ-
मन के आंगन में उम्मीद के फूलों पर
उड़ती हुई ये ख्वाहिशों की तितलियां,
छोटी-बड़ी अनगिनत रंगों में
नहाई हुई ये ख्वाहिशों की तितलियां।
बैठे कभी तो उड़ जाए पल भर में
उड़ती फिरे यहाॅं से वहाॅं
ख्बावों को बांधे पंखों से अपने
छूने चली आसमां
रोके ना रूके ये ख्वाहिशों की तितलियां
मन-उपवन में उड़े ये ख्वाहिशों की तितलियां।
चाहत हो कभी चाॅंद को पाने की
कभी खुद में ही मगन रहें
फूलों की तरह खिलखिलाएं कभी
कभी नयनों से नदियां बन बहे
रूप बदलती हैं ये ख्वाहिशों की तितलियां
यादों में झिलमिलाती ये ख्वाहिशों की तितलियां।
शेष अनुशीर्षक में .... निशि..🍁🍁-