हौसला रख़ ए वक्त के मुसाफ़िर,
ये जो आईना तेरे तालीम की गवाह बना हैं,
उसे जरूर एक दिन तुझपे फक्र होगा।-
क्यूँ सोच में तू पड़ा है 'धर्मेंद्र'
क्या तुमको परेशानी आई है।
मखमली गद्दे में बताओ भला।
किसने चैन की नींद पाई है।।
राहों में चलते-चलते फिर क्यूँ।
मन में नींद की तलाश जगाई है।।
घने अँधेरे में भी आगे बढ़ना।
हमने तालीम जुगनू से पाई है।।-
भरे पड़े हो तुम अंदर से
पूछते हैं लोग समंदर से
आवाज़ दूँ आएगा जलधर
दोस्ती मेरी उस पुरन्दर से
ठाट-बाट से भरा जीवन
मिस्मार न हो जाये अंदर से
जड़ पकड़ने की तालीम उसे
पुछ लो तुम कहीं 'धर्मेंदर' से-
सज़दा आज भी करता हूं उस बेवफा के मिलने पर धोखेबाजी की तालीम जो ली है मैंने उससे
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कड़वा सच अक्सर छीन लेता है अजीज को,
मीठे झूठ की तालीम कभी ख़राब नहीं जाती l-
जेब का अमीर कर दे खुदा
हम दिल के अमीर को पढ़ने के लिए
कुछ-ना-कुछ तालीम तो आनी चाहिए
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तालीम तहजीब की बराबर मिल रही है उसे,
घुट रहा है एक और बचपन रिवाज़ के दायरे में !-
मेरी नर्म तालीम को बेचारी न समझो,
अपनो के लिये झुकता हूं लाचारी न समझो।
इज्जत देना सीखा है हमने बुजुर्गों से,
अब इसे तुम पुरानी बीमारी न समझो।-
पहले तालीम देके उन्होनें हमें इश्क का उस्ताद बना दिया
फिर खुद पैश आने लगे रिश्ते में किसी अनपढ़ की तरह..-
तालीम और तज़ुर्बा कभी ज़िंदगी की हकीकत बयाँ नहीं करते
गर यकीं ना हो तो थोड़ी देर आईने के सामने मुस्कुरा कर देखो-