जब हमारे होने का कोई मायना नहीं है आपके लिए,
फ़िर हमारी स्टेटस में यूं ताका झाकी किस लिए ??-
खुद की जिंदगी का कोई ठोर नहीं
और दूसरों की जिंदगी में झाँका करते हैं लोग
कैसा जुल्म करते हैं लोग।-
जनाब आप तो छोड़ चुके हैं न हमे...
तो हमारा हाल ए दिल जानने को आवाजाही कैसी...
आपको तो हम से कोई मतलब.. फर्क नही है ना...
तो चुपके से हमारी शायरिया पढ़ने को ताका झांकी कैसी...?
कही भूल तो नहीं गए... की भूल चुके हो मुझको..
जब हमें न समझे.. तो हमारी बातें समझने की अदाकारी कैसी...!-
औरों के घरों में झांकना बंद कर दो प्यारे
अपने ही घर की लड़ाई तो संभाली नहीं जाती
ज़रा - सी ताकाझांकी से क्या देखोगे आख़िर
आकाश में झांकने खातिर
खिड़कियां काफी नहीं है प्यारे..!!-
प्रेम के दौर
ख़त
मैसेज बन गए
नज़रों के तीर
मोबाइल पर
गली के मोड़ का इंतज़ार भी
अब कहाँ रहा ...
न वो ताका झांकी
न वो कशिश
रिलेशनशिप में प्रेम
पर, प्रेम ..
प्रेम कहाँ रहा?
मोबाइल ने
प्रेम में बेहूदा घुसपैठ जो की है।
अच्छा हुआ कि
हम उस दौर में हुए।-
"आपके जीवन में जब कुछ महत्वपूर्ण होगा
तब आप किसी और के जीवन में
ताकाझांकी नही करेंगे।
जब विशेष कुछ है ही नही तब यही कार्य बचता है।"-
पानीदार आंखें
शहर की भीड़ भरी सड़क की तरफ
खुलती एक खिड़की---
आती जाती सैकड़ों निगाहें, अन्जान अपेक्षा में
गड़ जाती हैं, खिड़की के सीने में
कुआँ तलाशती -------
कुछ न पाकर , बढ़ जाती
दूसरी, किसी और खुली खिड़की की तरफ----
दूऽऽर वहाँ---
सूखते केश, हिलते साए, दाल बीनते हाथ
किताब की आड़ में कोई चेहरा----
मुड़ जाती, सब आंखें उधर----
डटकर घूरती आंखें
हटकर ताकती आंखें
डर डर झांकती आंखें---
शहर भर की, पानीदार आंखें!!!-
यूँ दूर खडे़ होकर ही हमको ऐसे ताका ना कीजिए
ऐसे नजरों से हमारी नजरों मे झांका ना कीजिए-
जब उसने पलकों के परदे हटा कर मेरी और झांका तब हमने जाना की हमें भी कोई
अपनी निगाहों में भर रहा है....!-