हर कोई हक जताने आ जाता है
बेवकूफ है हम ये बताने आ जाता है
कितने मासूम है हम इस दुनियादारी से
जो भी देखों तमाचा मारने आ जाता है-
पढ़ना पसंद है, तो follow कीजिए।
हम भी follow करे... read more
जाने किस दौर से गुज़र रही है ये जिंदगानी
सबकी अपनी अलग ही रही है कहानी
किसी के पास इश्क़ की है बेशुमार दौलत
तो कही रह गए दोनों हाथ है खाली
मचल रहे है लोग जिस्म को पाने को
और चाहिए मोहब्बत रूहानी
हाय ! निक्की ये दोगले लोग और उनकी जबानी
मिरे ही हिस्से क्यों आती है ऐसी फ़ालतू कहानी — % &— % &-
वो गुलाब भी कितना खुशकिस्मत गुलाब होगा
जिसके नसीब में भी खूबसूरत गुलाब होगा-
तुम और हसीं ख़्याल तुम्हारें
ज़हन में आते है रोज़ हमारें
कभी सताते कभी मनाते
सोते है हम इसी के सहारे
कभी रुलाते कभी हंसाते
खूबसूरत है ये पल सारे
तुम और हसीं ख़्याल तुम्हारें
हाय ! कैसे हम इश्क़ के मारे-
आँसूओं से लिखी कहानी को भला किसने पढ़ा है
एक मैं ही जानतीं हूँ कि इसे कैसे मैनें गढ़ा है-
एक ख़त लिखूँ तुम्हें जिसमें इश्क़ की कहानियां हो
एक ख़त लिखूँ तुम्हें जिसमें मौज़ो में छिपी रवानियां हो
उसमें लिखें होगें संग बिताए पल सारे
उन पलों की ख़ामोशियों की जुबानियां हो
उसमें लिखें होगें तुम्हारें मेरें झगड़े सारे
उन झगड़ो की एक - एक बारीकियां हो
उसमें लिखें होगें प्रेम के फलसफ़े सारे
उन फलसफ़ो की सारी निशानियां हो
एक ख़त लिखूँ तुम्हें जिसमें तुम्हारी मेरी
छोटी से छोटी हर एक नादानियां हो-