आसमां भर की चाहत है मेरी छोटी हथेली में,
जो बादल प्यार बरसाए,समा लूं अंजुली भर में..!-
Assistant Professor
Department of Hindi
Jamalpur college, Jamalpur
( Munger Univ... read more
फूल - फूल पत्ती - पत्ती खोज रहा हूं तुझको,
मेरा मन ही भंवरा बन कर काट रहा है मुझको।
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मैं आसमां को चूमने के लिए
क्षितिज तक पहुंचना चाहता हूं,
पर क्षितिज का छोर छल लेता है..
हर बार धरती गोल हो जाती है और
आसमां और ऊंचा हो जाता है।
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समंदर से प्यार करो तो
उस रिश्ते को कोई नाम न दो
समंदर हर रिश्ता निभा कर भी
किसी का नहीं होता।
तुम्हारी आंख से निकलता हुआ
अश्क का हर कतरा
तुम्हारा ही होता है
समंदर का नहीं होता,
पर फिर भी उसके खारेपन से
समंदर कभी जुदा नहीं होता..!
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मैंने एक दिन रेत से
उसके बनने की कहानी पूछी।
रेत ने कहा -
पहाड़ के पत्थरों से
नमी को चुराकर
टप - टप पानी की बूंदों ने
उसे घिस दिया एवं
हवा और धूप ने
बंजर जमीन को रेशा - रेशा सुखा कर
उसके पानी को ऐसे हड़प लिया कि
सातों समंदर और
हजारों नदियों के किनारे रेत
पानी के पहरेदार बन कर खड़े रहे
पर फिर भी प्यासे ही रहे …!
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सर्द कोहरे भरी रात की
गंध मुझे पता है।
कोई चाहे तो इसे
सुगंध भी कह सकता है,
पर किसी भाषा में
इसकी महक को
क्या नाम दिया गया है,
मुझे नहीं पता …
मैं चाह कर भी
इसे कोई नाम नहीं दे पा रहा हूं
क्योंकि इसके सुगंध को महसुसने से
इसके नाम का कोई वास्ता नहीं दीखता…
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आंख बंद बस होते होते
मैं उसका होते जाता हूं..
अपना सुध - बुध खोते - खोते
सुन्ना होते जाता हूं…
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खुद के साथ होने का मोहलत दे दे मौला,
खुद में खुदा को जीने का इलम दे दे मौला।
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तुम से मैं हूं,
मुझसे तुम हो
तुम बिन सारी दुनिया खाली है,
संग संग तेरे जीते मैंने
पूरी दुनिया पा ली है..!!
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