वो आग लगाकर चली जाती है
बस फिर उसकी याद आती है।।-
न मेरा ओर है न छोर है
हवा हूँ, जो सब ओर है!
मेरे भावों को उबाल वो यहीं से देती है
पायल आगे कर देती है, कुछ कहती नहीं है।।-
तुम आओ न आओ तुम्हारी मर्जी
इंतज़ार करना मेरी मर्जी।।
तुम प्यार करो न करो तुम्हारी मर्जी
मगर मैं प्यार की लगाती रहूंगी अर्जी।।-
बच्चे ले रहे हैं मौसम का लुत्फ़
लें भी क्यों नहीं, जब मिल रहा है मुफ़्त।।-
वैसे तो मुझको कुछ शेयर करना पसंद नहीं है
मग़र कुछ के साथ हर चीज़ शेयर कर लेता हूँ।।
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इतनी भीतर तक देख लेती है वो
मेरी हर चोरी पकड़ लेती है वो।
मेरे इस तरह खुलासे करती है वो
जैसे मुझ में ही कई रहती है वो।।-