Anil Jain   (✍️anil kumar jain)
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न मेरा ओर है न छोर है
हवा हूँ, जो सब ओर है!
Joined 15 April 2018


न मेरा ओर है न छोर है
हवा हूँ, जो सब ओर है!
Joined 15 April 2018
28 APR AT 16:53

जलकुंभी के जाल में फंसी पड़ी है झील,
दूर दूर से आकर लोग, बना रहे हैं रील।।
नहीं किसी को चिंता फिक्र नहीं किसी को गिल्ट,
मोटी चमड़ी वाले अफसर हो गए जब से ढीठ।।

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19 APR AT 8:42

बिंबों के सहारे गढ़ी, "बस, युहीं.." एक रचना
पढ़कर अब लगता है हक़ीक़त है कि सपना।।

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16 APR AT 23:27

अंधेरा, तन्हाई और याद
समझ सकते हो करवट बदलती
जिंदा एक लाश।।

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16 APR AT 8:11

इश्क में गौते लगा रही है
देखो काम के वक्त मुझको सता रही है।।
दीवानी किस कदर हावी है उस पे
सबके सामने इश्क फरमा रही है।।
हौले से आकर कंधे पे धरा है उसने हाथ
इशारों में जैसे कुछ कहना चाह रही है।।
अंखियां देखो उसकी, इश्क से पावस है
क्या वो नज़रें मिला के मुझको रिझा रही है।।
अजीब है इश्क की फितरत भी
हर जोड़ी जो हदों के पार जा रही है।।

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15 APR AT 23:31

रात चुपके से आई, ख़्वाब मीठे-से लाई
रफ्ता-रफ्ता ख़्वाब ने, सब पाट दी खाई।।

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15 APR AT 22:58

उसकी मीठी बातें,
उसकी आंखों की शरारतें
बढ़ा देती हैं बैचेनी,
पर सजा देती है रातें।।

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15 APR AT 20:02

इश्क पर इख्तियार कहां होता है
ये तो जब भी होता है, बेलगाम होता है।।

होश नहीं रहता है इश्क के जोड़े को
उनको तो बस इश्क का एक खुमार होता है।।

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15 APR AT 19:53

कहां बिछड़े हो तुम मुझसे, तुम अब भी याद आते हो
जितना पहले सताते थे, अब उससे ज्यादा सताते हो।।

दूर हो गए हो, एक अरसा बीत गया है, अपनी बात हुए
मगर ऐसी सुबह शाम नहीं, जिसमें याद तुम न आते हो।।

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14 APR AT 17:39

कितने परिपूर्ण हो जाते हैं, इक दूजे के मिलन से
ये सिर्फ महसूस करो देख के हमें, न पूछो हमसे।।

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12 APR AT 9:29

एक सुकून है तेरी बाहों में
मगर रोड़े बहुत हैं राहों में।।
रोड़ों से भी जूझ लूंगा
तू बसा अपनी निगाहों में।।

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