मेरे आसमानों पर बादलों की तरह वो छाया हुआ
मेरी नजरों में ख्वाबों की तरह वो समाया हुआ
किस तरह कह दूँ कि वो अलग है मुझसे
मेरे दिल में एक छोटा सा घर उसने बसाया हुआ-
पर उसकी आँखों सा नशा कहीं नही
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क्या बताऊं उसमें मुझको क्या अच्छा लगता है
उस शख्स में मुझको सब कुछ अच्छा लगता है
माना होंगे दुनिया में बहुत से अच्छे लोग फिर भी
अच्छे अच्छों से मुझे उसका बुरा अच्छा लगता है
होते होंगे वो चांद सितारे तुम्हारी नज़र में खूबसूरत
तुम्हारे चांद से ज्यादा मुझे अपना चांद अच्छा लगता है
ज़िद करता है वो बच्चो सी वो फिर भी पूरी करनी है
वो जो बच्चा है उसमें मुझे वो बच्चा अच्छा लगता है
उसकी आंखें उसकी बातें उसका चेहरा उसके बाल
सिर से पैर तक उसका मुझे ज़र्रा ज़र्रा अच्छा लगता है-
अनगिनत इच्छाएं इस मन की
सबसे प्यारी इच्छा तुम
नहीं चाहिए धन और दौलत
इस भिक्षुक की भिक्षा तुम
तुम ही आस हो तुम ही प्यास हो
मेरे लिए बस एक तुम ही खास हो
धड़कती हो दिल में धड़कन बनकर
मेरी तो अब तुम ही सांस हो
मैं क्या जानूं अब भला बुरा कुछ
मेरा बस एक अच्छा तुम
नहीं चाहिए धन और दौलत
इस भिक्षुक की भिक्षा तुम
तुमको पाकर सब पा लूंगा
तुमको खोकर सब खो दूंगा
तेरी हंसी से मिलती है खुशी मुझको
तुम ना मिली तो अब मैं रो दूंगा
इस अनपढ़ पागल प्रेमी की
बस दो अक्षर की शिक्षा तुम
नहीं चाहिए धन और दौलत
इस भिक्षुक की भिक्षा तुम-
तुम साथ हो बस और क्या चाहिए
तुम हो मैं हूं और अब कौन चाहिए
तुम्हारा साथ ही अब काफिला है मेरे लिए
तुम्हारे सिवा और कौन हमसफर चाहिए-
जो बात है उसमें वो तो किसी में भी नहीं,
सबसे अलग है वो उसके जैसा कोई भी नहीं।
क्या तारीफ करूं मैं उस पगली की,
थोड़ी सी नादान है वो।
वो खुद क्या है नहीं पता उसको,
हर बात से अनजान है वो।
जितना प्यार है तुमसे उतना किसी से भी नहीं,
सबसे अलग हो तुम तुम्हारे जैसा कोई भी नहीं।।
तुम जान हो जहान हो मेरी दुनिया हो तुम,
कुछ नहीं हूं तुम्हारे बिना, मैं लहर दरिया हो तुम।
तुम्हें देख लें तो हंसने लगती हैं ये आंखें,
मेरी सारी खुशियों का अब जरिया हो तुम।
मेरे मन मंदिर में तुम्हारे सिवा दूजा कोई भी नहीं,
सबसे अलग हो तुम तुम्हारे जैसा कोई भी नहीं।।-
क्या बताऊं तुमको मुझे कितना प्यार है तुमसे
बस इतना समझ लो मोहब्बत बेशुमार है तुमसे
तुम्हारे होने से मुकम्मल होती है जिंदगानी मेरी
मेरी आंखों में नशा है तुम्हारा मेरा खुमार है तुमसे-
चांद से ही चांद की बातें करने लगा हूं
किस कदर मैं उनसे मोहब्बत करने लगा हूं
मयखाने वयखाने अब बातें पुरानी हो चली
उसकी दो आंखों से अब मैं पीने लगा हूं
कभी किसी को पाने की चाहत नहीं रही पहले
पर उसके लिए अब मैं सजदे करने लगा हूं
कभी कद्र नहीं की आज तक किसी की भी
पर उसको पाकर अब खोने से डरने लगा हूं
मैं लिखने लगा हूं अब गजलें बस उस पर
कि उसको अपनी हर ग़ज़ल में लिखने लगा हूं
क्या बताऊं क्या मिला है मुझको उसे पाकर
खाली सा था पहले उसे पाया तो भरने लगा हूं-
उसका हाथ पकड़कर मैं एक दिन सारा जहां घूमूंगा
क्या बताऊं तुम्हे उसको पाकर मैं किस कदर झुमूंगा
हां माना उसके होंठ भी बहुत खूबसूरत है लेकिन
अगर मिले मौका मुझे कभी तो मैं उसका माथा चूमूंगा-
एक लड़की है पागल सी
कुछ नहीं है वो मेरी
फिर भी अपनी सी लगती है
इस अंधियारी सी दुनिया में
वो रात रानी सी खिलती है
क्या कहूं उससे मेरा क्या रिश्ता है
कुछ भी तो नहीं
मैं कहने को क्या हूं उसका
कुछ भी तो नहीं
पर न जाने क्यों क्या हुआ है मुझे
उसको उदास मुझसे देखा नही जाता
कि जब तक उसकी मुस्कान न देखूं
मुझको पल भर भी चैन नहीं आता
वो पागल सी लड़की
कुछ भी न होकर
बहुत कुछ है मेरे लिए
मैं चाहे उसका कुछ भी नहीं
वो सब कुछ है मेरे लिए-