आंसु अपने छुपा लिया है मैंने,
दर्द दिखाना नहीं आता!
इस पल मे कितनी तड़प है,
कुछ पल ठहर जा,
मुझे तेरे बगैर जीना नहीं आता!
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क्या कहता क्या सहता इश़्क की तड़प
क्या लिखता क्या सुनता इश़्क की तड़प
कभी लैला-मजनूँ के प्यार की निशानी है
चुप रहकर ही सब सहता इश़्क की तड़प
दिलों में मोहब्बत भी सब इसी से आती है
दिल में अपने क्यों ना रखता इश़्क की तड़प
इसने दिल भी तोड़े हैं ना जाने कितनों के
मन से ओझल कैसे करता इश़्क की तड़प
आओ भीग जायें प्यार की बारिश में दोनों
अब बिन बारिश कैसे चलता इश़्क की तड़प
इश़्क है तो इसका होना ज़रूरी है "आरिफ़"
हर दिल फ़िर भी है भरता इश़्क की तड़प
"कोरा काग़ज़" है हर ज़िन्दगी बिना इसके
अल्फाज़ भी है मरता, ये है इश़्क की तड़प-
ना जाने यहां पर बारिश तो बहुत कम हो रही है ,
पर मुझे बारिश की तड़प बहुत ज्यादा हो रही है !-
दिल में मरोड़ सी उठती है आंखों से नमक पिघलता है ...
देखूं जो मैं किसी और को नश्तर सा दिल पर चलता है....
मैंने पूछा रात चांद से क्या दिल उसका भी जलता है ??
करवट करवट रात कटे है ,दिन भर ख्वाब सजाता है...
मैंने पूछा रात चांद से क्या दिल उसको भी तड़पाता है ??
हर बात उसी की दिल करता है ,हर लब्ज उसी पे लिखता है...
मैंने पूछा रात चांद से क्या वो कभी इसे भी पढ़ता है ??
मेरा सब्रो सुकून वो है, मेरे हर एहसास मे है...
दिल एक पल भूल न पाता है, मेरे दिन और रात में है ।
मैंने पूछा रात चांद से क्या याद मुझे वह करता है??
मैने पूछा रात चाँद से...-
चाहतों के सिलसिले अक़्सर मुलाकातों से शुरू होते हैं।
और मुलाकातें तभी मुकम्मल होती हैं।
जब इश्क़ की आग दोनों तरफ़ बराबर लगी होती है।
और मिलने की तड़प दोनों के दिल में बराबर होती है।
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तड़प के देखो किसी के प्यार में,
तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता हैं..!
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहें,
तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता हैं..!!
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तड़प हो रही है "साहिबा" साथ छुटता नहीं है ,
सांस लिये जा रहा हूं, दिल रुकता क्यों नहीं है।
♥️🖤-
हर रात एक तड़फता सपना
मुझे जगाकर पुछता है..
"क्या मैं कभी सच होउंगा"-