दबें पाव कोई आया
ये किसकी हिमाक़त है
तुम्हारी यादों के घरौंदे में
ये किसकी शरारत है ..
हवाओं के स्पर्श में
तुम्हारा स्पर्श - सा है
यादें मिठी है लेकिन
उनमें एहसास दर्द- सा है..
अपनी मोहब्बत के तकिए तले
छुपाकर चुराकर सबसे
रखे थे कुछ ख्वाब मनचले
कि तुम्हारी यादों के अश्कों को
इनकी भनक लग गई
भीग गये ख्वाब
दरिया बन उठा सैलाब
धुधले पड़ रहें हैं उनकी नमी से
जो छिपाकर रखे थे "हमारे ख्वाब " ...
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