मेरे सभी लोग मेरे आस पास है
फिर भी किसी अपने की तलाश है-
जैसे को सदा तैसा दिया है
तुमको भी दूँगी शान से
जैसा मुझको बरतोगे तुम
वैसा ही भाव रखूँगी आप से-
मेरे रूठ जाने से डरता नहीं हैं वो
मैं ना करूँ तो बात भी करता नहीं है वो
सोचूँ तो लगे हैं प्यार भी करता नहीं शायद
उसे लगता हैं कि मेरा है पर मेरा नहीं हैं वो-
क्यों खुद को तुम इतना कम तोलते हो
बात बात पर खुद को बेवफा बोलते हो
इतने बुरे तो नहीं थे तुम मोहब्बत में
फिर क्यों खुद को इतना बुरा बोलते हो-
मेरे नीरस से जीवन में गर कोई उम्मीद बची है
तो सिर्फ़ तुम्हारे कारण……
या यूँ कहूँ कि तुम मेरी इकलौती उम्मीद हो…-
तेरे आने से पूरे हुए अधूरे से हम
तुझसे पहले थे तन्हा अकेले वीराने से हम
बुद्धू से पागल से थे तू मिला तो हुए शयाने से हम
अंधेरे में थे पर तेरे आने से घिर गए उजाले से हम
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दूर जाने से अच्छा है करूं प्रतीक्षा उसकी
हो मैं भी पार्वतीमय करूँ तपस्या उसकी
शुभकामनाएं साथ हैं पूर्ण हो हर एक परीक्षा उसकी
छाँ जाए दुनिया पर अव्वल दर्जे की हो समीक्षा उसकी
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प्यार या समय कुछ भी नहीं चाहिए अब मुझको
अकेला छोड़ दो कुछ तन्हा लम्हे चाहिए मुझको
उब गई हुँ मैं दिए हर शक्स के बहानों से अब तो
अब कुछ चाहिए तो बस मेरे राम चाहिए मुझको-
स्वाति चुप रहेगी तो शायद ज़िंदा रहेगी तू
वरना ख़्वाहिशें तोड़ देगी एक रोज़ बहुत रोएगी तू
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