मेरे श्याम बाबा अपनी बात मैं तुम्हें बता रही हूं,
किस हाल में हूं मैं तुम्हें सुना रहीं हूं..,
सुना है तुम हर लेते हो सब की परेशानी,
एक अर्जी मैं अपनी भी लगा रहीं हूं ..🙏
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सहम गया उसका हृदय, एक पहाड़-सा टूट गया...,
बेटी को इस हालत में देख, आंखों से आंसू छूट गया,
रह गई वो निस्तम्भ खड़ी,बस यूं ही आंखें खोलें,
भावनाओं को आंसू से तोल रहीं...,
हाय...बेचारी क्या बोले...?
कांप गई वो अन्तर्मन से...,
नैनों से अश्रु धारा बह गई
देख निशान बेटी के तन पर
वह अन्दर ही अन्दर सहम गई ..,
कहां मर गई हैं मानवता..?
उसका हृदय चित्कार रहा...,
कोई न्याय दिलाओ मेरी बेटी को
मां का हृदय पुकार रहा..!-
बेजुबान की चीख
बेजुबान मासूम हूं मैं देखो कितना मजबूर हूं मैं
एक रोटी को तरसता हूं रास्ता तेरा ही तकता हूं..,
ऐ मानव जरा इंसाफ कर मुझसे भी जरा प्यार कर,
रोटी क्यों मुंह पर मारा है मैंने क्या बिगाड़ा है..,
हर वक्त मुझे सताते हो कभी प्यार से बुलाते हो,
मैं दिन भर पीछे तेरे भगता हूं तनिक भी नहीं थकता हूं..!
तेरी वफादारी में जीवन गुजार दिया फिर भी तूने दुतकार दिया,
निर्दयी व्यवहार किया आखिर क्यों मुझको लाचार किया..,
मंदिर में दूध चढ़ाते हो मुझको रोज सताते हो,
हे मानव यह कैसा तेरा इंसाफ है मुझ मासूम में भी तो भगवान है..,
हो तुम्हारी इच्छा तो आधा दो, तनिक ही दो ना ज्यादा दो,
हम तुम्हें ना सताएंगे जो दोगे खुशी से खायेंगे..,
हुई जो त्रुटि हमसे है ऐसा करो हमें माफ करो,
चोट हमें भी लगती है, हम पर ना पत्थर से प्रहार करो..!
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वो रह लेता हैं मेरे बिना..
मैं भी वक्त गुजार लेती हूं..,
पहले उलझीं रहती थी उसके ख्यालों में...
अब अपनी उलझन खुद ही सुलझा लेती हैं मैं..,
सुना है वो बहुत मसरूफ रहता है अपने कामों में..
मैं भी अब खुद को संभाल लेती हूं..,
वक्त होगा तो जरूर बात करेगा वो हमसे....
बस यही सोच अपना मन कहीं और बहला लेती हूं मैं..!
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शायद कमी कुछ रह गई मेरी ही मोहब्बत में,
उसने तो रिश्ता बख़ूबी निभाया था ...!-