QUOTES ON #तकदीर

#तकदीर quotes

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22 MAR 2020 AT 20:21

तहरीर ना समझ सका जो,
तकदीर क्या ख़ाक पढ़ता वो।।।

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29 JUL 2020 AT 10:32

मेहनत से राह आसान होती ,
बंजर भूमि भी उपजाऊ बनती;
बस नेक नियत
और सच्चा मार्ग हो तेरा ,
फिर इस मेहनत से
क्यों नहीं चमकेगा भाग्य तेरा।।
🍁Anjna Kadyan🍁



तकदीर-ए-खेल में
बाजी बड़ी-बड़ी पलट गई ,
राजा कब रंक और रंक कब राजा
बन सत्ता बदल गई ;
मनुष्य चाहे तो असंभव भी संभव बन जाए
मेहनत, लगन से
बिगड़ी तकदीर भी सुधर जाए।।
🍁Anjna Kadyan🍁

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जब कलाई की ताकत खत्म हो जाती है ...
तब इंसान लकीरो में अपना भविष्य ढूंढते है !!

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31 JUL 2022 AT 22:53

इस दुनियां में कई तरह के लोग मिलते हैं
कोई अपने तकदीर से हारने वाले, तो कोई अपने सपनों को जीतने वाले
कुछ गैर याद रखने वाले, तो कुछ अपने भूलने वाले

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उसकी आंखों में कैद है सब, जो उस तस्वीर में नहीं
इक ख़्वाब ऐसा भी देखा है उसने जो तकदीर में नहीं

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2 JUL 2019 AT 19:45

मानो तो
खुदा की रचना
ना मानो तो
तकदीर का खेल

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15 MAY 2020 AT 16:22

दिल बस्तगी तो ..
दीने मुहब्बत नही होती...
बे रब्त मुकम्मल सफर
गुजारा नही जाता ...
हो बख्त़ मे नही ..
और दीदा-ओ-दिल रहे ...
सफर हयात का ..
यू भी तो गुजारा नही जाता ...
इकरार हमसे ईश्क का..
वो कर नही सकते....
ये बार-ए-ईश्क उनसे
उठाया नही जाता...

बख्त़(तकदीर)बार-ए-ईश्क( वजन)बे रब्त (बिना संबंध)दीने मुहब्बत (मुहब्बत का धर्म)बस्तगी (बहलाना)

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15 JUL 2020 AT 7:56

तेरे होंठ गुलाबी मुझे भाने लगे,
रात दिन तेरे ही ख्वाब आने लगे।
तुम्हारी नजर का जादू यूँ चला,
तेरी नैनों की वादी में नहाने लगे।
तुझमें ही खोये रहतें हैं हरदम,
और तेरा ही गीत गुनगुनाने लगे।
प्यार की ये जमीं जो बन्जर थी,
उसपे हम भी फ़सलें उगाने लगे।
तुम्हारे कदम बढ़ रहें है यूँ इधर,
तेरी राह में पलकें बिछाने लगे।
तुम आकर रहोगी यही सोचकर,
अपने दिल का कमरा सजाने लगे।
मेरे पास आ तुझे अपना बना लूँ,
ये जमाना ना बीच में आने लगे।
जन्म जन्म का तुम्हारा साथ रहे,
अपनी तकदीर तुम्ही से बनाने लगे।
तुम मेरी हमसफ़र हो और रहोगी,
तेरे साथ मिलकर सपने सजाने लगे।
वफ़ा का जुनून अब कुछ यूँ चढ़ गया,
दुश्मनी के वादे भी हम निभाने लगे।

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26 JUL 2020 AT 21:05


पूछना मत कि हमने क्या देखा ...
खुली निगाहो से सपना देखा...
आईना हमसे था खफा खफा सा ...
बाद मुद्दत जो आईना देखा ..
अर्से बाद नजर आए जो वो...
सांस को चढ़ते उतरते देखा ...
उम्र भर जिससे जुदा होने से डरता था ये दिल...
मेरी तकदीर में उसको ही लिखा सा देखा।

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18 SEP 2017 AT 19:04

वक्त को क्या दोष दूँ......
कसूर तो मेरी वफ़ा का है....


तक़दीर को क्यों दोष दूँ......
कसूर तो मेरे जज्बात का है.....



तकलीफ तो मुझे भी होती है😥 कोई पत्थर तो हूँ नही........


दर्द हो गुजरता है,,अश्क बह ही जाते है....

कसूर आँखों का नही ...
कसुर मेरी वफ़ा का है😞

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