जब तुम्हे इतने करीब
मेरी नजरो ने गौर से देखा
अंदर मेरे जैसे कोई शोला उठा
गैस पर रखा जैसे कोई कूकर फटा
हाथों से मेरी थाली गिरी
जैसे बगल में किसी की नानी मरी
अंदर होने लगा कुछ शोले शोले
दिल मेरा धक धक बोले
सिर की नसें चकराने लगी
आंखे ये पथराने लगी
अरे अरे ज्यादा गौर ना फरमाओ
मैं महबूब की नही छिपकली 🦎
की बात कर रही-
दिल लिखने की चाहत रखता हैं ,
और लोगो की चाहत से डरता हैं ।
संभल संभल कर अल्फाज लिखते हैं ,
खूद को संभालकर लोग कहाँ पढ़ते हैं ?-
डर !
डर मनुष्यों को सतर्क बनाये रहने
में सहायता करता है।
मन और अज्ञान के अंधकार में मनुष्य
डर का टॉर्च लेकर अपने अंदर की गलतियों
को ढूंढ कर उसे ठीक भी कर सकता है, सुधार
सकता है। डर खराब चीज़ नही है, अगर उसका
सद्पयोग करे तो। अब रही बात की संसार मे सब
की एक तय सीमा है।किसी भी चीजो, नियमो या
कानूनों की सीमा के भीतर रहने से ही उसका लाभ
होता है और ये तो खुद मानव ही तय करेंगे ।-
वहम है या सच!
न तुझको पता है,
न मुझको पता है।
कुछ पल के लिए लगता है,
जैसे कोई साथ चल रहा है।।
अब शायद तुम्हे भी डर लग रहा है…-
ख़ुद को रोज डराता हूँ।।
खुद को रोज धमकाता हु।।
अपनी गलती पर खुद के।
गाल पर चाटा भी लगाता हूँ।।
बस इसी तरह से हर रोज।
अपनी किस्मत को चमकाता हु।।
Raaj poetry
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हर वक्त डर लगता है कि अगर डर से मेरा सामना होगा तो क्या मैं डरूंगा या डर के मारे मर जाऊंगा; क्योंकि डर होना जरूरी है अगर डरोगे नहीं तो जी नहीं पाओगे मगर जीना भी बहुत ज़रूरी है लड़ोगे नहीं तो मारे जाओगे!
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ऊँची अटारी पर
डरा सहमा सा चूहा जो बैठा था
बिल्ली की म्याऊँ म्याऊँ की आवाज से
अपने अंदर घिघ्घी बाँधे बैठा था
हिम्मत कर बोल उठा
न आ न आ
म्याऊँ म्याऊँ का न शोर मचा
बिल्ली बोली क्या करें
तुम्हें बुलाना तो पड़ेगा
म्याऊँ म्याऊँ की आवाज से
शोर मचाना तो पड़ेगा
क्या करें तुम्हे दिल से जो चाहते हैं-
कोरोना का असर ऐसा छाया है,
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी नमस्ते को अपनाया है...-
हर डर से बहुत डर सा लगता हैं हमें,
पर .......
अब लगता है हर डर से इश्क सा हो गया हैं हमें,
कमबख्त इस डर-ए-इश्क ने जीना सिखा दिया हमें,
हाँँ हर डर से बहुत डर लगता हैं हमें......!
—मणिदेव✍️-