Sindhu Raj   (Sindhuraj)
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Raaj poetry
Joined 4 June 2019


Raaj poetry
Joined 4 June 2019
8 MAR AT 11:20

घर का बोझ उठाने के लिए लिए एक इस्त्री कमाने बाहर जाती है दरिंदगी का शिकार होकर बीच सड़क पर नोची जाती है
World wowan day

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27 JAN AT 22:23

जब मैं खुद को बयां नहीं कर पाया I
तब मैने खामोशी का सहारा लिया II

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24 DEC 2023 AT 22:29

जरुरत से ज्यादा समझदारी I
इंसान की खुशिया खा जाती है II

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5 NOV 2023 AT 22:03

मेहनत से ऊंचे सपनों का सम्राट हों जाना I
इतना आसान नही है विराट हों जाना II

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3 NOV 2023 AT 22:23

फर्क नही पड़ता दुनिया की नजरो में क्या हूँ II
क्योंकि उन से ज्यादा खुद को अन्दर से देखा है मैने II

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30 OCT 2023 AT 22:55

गुजारा ही तो कर रहा हु II
आवारा ही तो फिर रहा हूँ I
जब से छोड़ कर गई वो में I
कुंवारा ही तो फिर रहा हूँ II

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4 OCT 2023 AT 22:50

खुद से कुछ इस तरह शर्मिंदा हूँ I
पल पल मर रहा हूँ मगर ज़िंदा हू II

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19 SEP 2023 AT 23:19

एक शख्स है जो मुझ में घरकर गया I
घरकर के पता नहीं फिर किधर गया II

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10 SEP 2023 AT 22:37

परिंदा हु जनाब उड़ने का शौक रखता हू l
ऊचाई कितनी है वो मायने नही रखता ll

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24 AUG 2023 AT 23:12

बहुत वक्त लगा खुद को समझने में।
जब समझा तब तक वक्त नहीं बचा।।
Raaj poetry

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