Sindhu Raj   (Sindhuraj)
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Raaj poetry
Joined 4 June 2019


Raaj poetry
Joined 4 June 2019
3 FEB AT 22:32

बचपन को जिम्मेदारियों खा गईं।
जवानी को महोब्बत निगल रही हैं।।
जब पूछते है लोग आजकल हाल मेरा।।
बोले देता हु बस अच्छी चल रही है।।

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13 JAN AT 11:21

जिम्मेदारियों भी कुछ इस तरह होती है।
इन्हें निभाते निभाते इंसान खुद की ।
ख्वाइशों से भी परेज कर लेता है।।

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30 DEC 2024 AT 22:30

साल बदलता है एक बार।।
यहां पल पल लोग बदलते है।
अपनों को हराने के लिए।
हर रोज ये नई चाल चलते हैं।।

Happy new year
2025

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18 DEC 2024 AT 22:10

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24 NOV 2024 AT 22:15

जरूरत से ज्यादा समझदारी भी ना।
इंसान की खुशियों को खा जाती हैं।।

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20 NOV 2024 AT 21:30

अब फ़र्क नहीं पड़ता कि दुनिया की नजरों में म क्या हु।
क्योंकि उन से ज्यादा खुद को अंदर से देखा हैं मैने।।

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24 OCT 2024 AT 22:17

जब तक जिंदा हो तब तक ताने मारती है।
ये दुनिया है जनाब जो मर जाने के बाद दुलारती है।।

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3 OCT 2024 AT 22:39

आओ बैठो करो कभी गुफ्तगू तुम भी मेरे साथ।
25 की उम्र में 40 का अनुभव ना कर दू तो कहना ।।

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2 OCT 2024 AT 22:29

खुद को ही मैने पकड़ा हुआ है।
जिस दिन छूटा तो बहुत दूर निकल जाऊंगा।।

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21 SEP 2024 AT 22:40

अगर आप अपने लक्ष्य की तरफ निरंतर चल रहे है।
तो आप किस गति से चल रहे है वो मायने नहीं रखती।।

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