बचपन को जिम्मेदारियों खा गईं।
जवानी को महोब्बत निगल रही हैं।।
जब पूछते है लोग आजकल हाल मेरा।।
बोले देता हु बस अच्छी चल रही है।।-
Sindhu Raj
(Sindhuraj)
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Raaj poetry
Joined 4 June 2019
3 FEB AT 22:32
13 JAN AT 11:21
जिम्मेदारियों भी कुछ इस तरह होती है।
इन्हें निभाते निभाते इंसान खुद की ।
ख्वाइशों से भी परेज कर लेता है।।-
30 DEC 2024 AT 22:30
साल बदलता है एक बार।।
यहां पल पल लोग बदलते है।
अपनों को हराने के लिए।
हर रोज ये नई चाल चलते हैं।।
Happy new year
2025-
20 NOV 2024 AT 21:30
अब फ़र्क नहीं पड़ता कि दुनिया की नजरों में म क्या हु।
क्योंकि उन से ज्यादा खुद को अंदर से देखा हैं मैने।।-
24 OCT 2024 AT 22:17
जब तक जिंदा हो तब तक ताने मारती है।
ये दुनिया है जनाब जो मर जाने के बाद दुलारती है।।-
3 OCT 2024 AT 22:39
आओ बैठो करो कभी गुफ्तगू तुम भी मेरे साथ।
25 की उम्र में 40 का अनुभव ना कर दू तो कहना ।।-
21 SEP 2024 AT 22:40
अगर आप अपने लक्ष्य की तरफ निरंतर चल रहे है।
तो आप किस गति से चल रहे है वो मायने नहीं रखती।।-