Sindhu Raj   (Sindhuraj)
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Raaj poetry
Joined 4 June 2019


Raaj poetry
Joined 4 June 2019
31 AUG AT 22:49

काफिला चलेगा एक दिन मेरे साथ।
क्योंकि बहुत वक्त मैने अकेले गुजारा है।।

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15 JUN AT 8:07

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26 MAY AT 19:26

में उस सीढ़ी से फिसला l
जिसके ठीक बाद छत आनी थी ll

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3 FEB AT 22:32

बचपन को जिम्मेदारियों खा गईं।
जवानी को महोब्बत निगल रही हैं।।
जब पूछते है लोग आजकल हाल मेरा।।
बोले देता हु बस अच्छी चल रही है।।

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13 JAN AT 11:21

जिम्मेदारियों भी कुछ इस तरह होती है।
इन्हें निभाते निभाते इंसान खुद की ।
ख्वाइशों से भी परेज कर लेता है।।

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30 DEC 2024 AT 22:30

साल बदलता है एक बार।।
यहां पल पल लोग बदलते है।
अपनों को हराने के लिए।
हर रोज ये नई चाल चलते हैं।।

Happy new year
2025

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18 DEC 2024 AT 22:10

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24 NOV 2024 AT 22:15

जरूरत से ज्यादा समझदारी भी ना।
इंसान की खुशियों को खा जाती हैं।।

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20 NOV 2024 AT 21:30

अब फ़र्क नहीं पड़ता कि दुनिया की नजरों में म क्या हु।
क्योंकि उन से ज्यादा खुद को अंदर से देखा हैं मैने।।

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24 OCT 2024 AT 22:17

जब तक जिंदा हो तब तक ताने मारती है।
ये दुनिया है जनाब जो मर जाने के बाद दुलारती है।।

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