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रंग बदलती दुनिया देखी, देखा जग व्यवहार,
दिल टूटा, तब मन को भाया, ठाकुर तेरा दरबार
🙏😊☺️🙏-
कभी मैं पुरुष का शरीर लू किसी जन्म में तो मुझे ठाकुर सा महाव्यक्तित्व चाहिए जिसने अर्धनार हो काली को परमनार बना दिया
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अच्छे ने अच्छा बुरे ने बुरा कहा मुझे क्यों कि जिसको
जितनी जरूरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे-
राजस्थान में सीकर जिले के पाटोदा गांव के भूरसिंह शेखावत,
अति साहसी एवं तेज मिजाज रोबीले व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे।
उनके बड़े भाई बलसिंह शेखावत पाटोदा जागीर के ठाकुर थे।
भूरसिंह शेखावत के रोबीले व्यक्तित्व को देखकर अंग्रेजों ने उन्हें
आउट आर्म्सरायफल्स में सीधे सूबेदार के पद पर भर्ती कर लिया
था।भूरसिंह अचूक निशानेबाज व अति स्वाभिमानी होने के कारण
जल्द ही सभी भारतीय सिपाहियों के आदर्श बन गए। अंग्रेजों
द्वारा भारतीय सिपाहियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था जो
की भूरजी को बर्दास्त नहीं होता था और इसी कारण उन्होंने
अपने अंग्रेज अफसर की हत्या कर दी और वहां से फरार हो गये।
आउट आर्म्स रायफल्स से बागी होकर भूरजी अपने गांव पाटोदा
बड़े भाई बलसिंह शेखावत के पास आ गए और उन्हें सारी
घटना बतायी। ठाकुर बलसिंह भी अपने पूर्वज डूंगरसिंह और
जवाहरसिंह की मौत का बदला अंग्रेजों और जोधपुर रियासत
से लेना चाहते थे और इसीलिए वे भी भूरजी के साथ बागी
जीवन जीने निकल गये।
(पूरा लेख caption में अवश्य पढ़ें)-
क्या लिखूं तेरी तारीफ में मैं
मेरे हमदम अल्फाज ही खत्म हो गये तुझे देख कर-