Saksham Singh Rajput   (ठाकुर सक्षम सिंह राजपूत)
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ssakshamsingh964@gmail.com
Joined 28 October 2020


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Joined 28 October 2020
7 MAR 2024 AT 20:55

9 महीने कोख में पालकर बच्चों को बड़ा करती है ,
बड़ी मशक्कत से बच्चो को अपने पैरों पे खड़ा करती है। ।
बड़े होकर बच्चे कहते हैं जब ये की फर्ज था आपका ये,
तो भी मां सदा अपने बच्चों हंसते हुए ईश्वर से खुश रहने की दुआ करती है।।
चुभता है गर कांटा पैर में कांटा तो भी मां को उलझन हो जाती है,
वो मां ही है जो बच्चों से अपने बेइंतहा प्यार करती है।।

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10 JAN 2024 AT 11:08

जीवन कश्मकश में है और जीवन काश है
हिंदी एक जज्बात और जीने की सुनहरी आस है

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19 OCT 2023 AT 23:10

कोरा कागज़ सी है जिंदगी ख्वाबों की कलम इसपे चलती नही
ख्वाहिशें तो बहुत है किताबों की पन्नो सी उनपे भी मेरा जोर चलता नही

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19 OCT 2023 AT 23:06

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2 MAR 2023 AT 22:05

समय से आप समय को समझ गए तो समय आप को बहुत बड़ा बना सकता है
यदि आप समय से समय को नहीं समझे तो वह आपको बहुत जल्द बर्बाद कर सकता है

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26 JAN 2023 AT 23:04

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26 OCT 2022 AT 11:17

मैने दुनियां में उलझते हुए भी एक सुलझा हुआ जहां पाया है
मैने जहां में सारे बाहर से कठोर अंदर से नर्म मिजाज पाया है
कभी भी न होते हुए भी उनको मना करते हुए नही देखा
कभी तो लगता है की मैंने 33 कोटि देवी देवताओं में से मैने भी एक पिता पाया है

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26 OCT 2022 AT 11:09

एक वो है जिसे देख के में चुप हो जाता हूं
उसकी झील सी गहरी आंखों की गहराई में डूब जाता हूं
इश्क भी होता है मुझे उससे कई मर्तबा
न जानें फिर भी मैं उसे देख क्यों मौन रह जाता हूं

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26 OCT 2022 AT 11:02

वक्त वो भी था एक जब हम जमाने के एक आइने में खुद को धूमिल पाते थे
धीरे से वक्त वक्त बदला तो सारे जमाने में धुंध छाने लगी
अब तो वक्त बीत रहा है और वो दौर शुरू हो रहा है की आइने को भी मेरी तलाश है

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29 MAY 2022 AT 22:14

नियति जिंदगी के साथ कुछ यूं चक्रव्यूह रचने लगी है
अब तो हंसती खेलती जिंदगी भी मौत विदित हो रही है

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