9 महीने कोख में पालकर बच्चों को बड़ा करती है ,
बड़ी मशक्कत से बच्चो को अपने पैरों पे खड़ा करती है। ।
बड़े होकर बच्चे कहते हैं जब ये की फर्ज था आपका ये,
तो भी मां सदा अपने बच्चों हंसते हुए ईश्वर से खुश रहने की दुआ करती है।।
चुभता है गर कांटा पैर में कांटा तो भी मां को उलझन हो जाती है,
वो मां ही है जो बच्चों से अपने बेइंतहा प्यार करती है।।-
जीवन कश्मकश में है और जीवन काश है
हिंदी एक जज्बात और जीने की सुनहरी आस है-
कोरा कागज़ सी है जिंदगी ख्वाबों की कलम इसपे चलती नही
ख्वाहिशें तो बहुत है किताबों की पन्नो सी उनपे भी मेरा जोर चलता नही-
@thakursaksham4061
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समय से आप समय को समझ गए तो समय आप को बहुत बड़ा बना सकता है
यदि आप समय से समय को नहीं समझे तो वह आपको बहुत जल्द बर्बाद कर सकता है-
मैने दुनियां में उलझते हुए भी एक सुलझा हुआ जहां पाया है
मैने जहां में सारे बाहर से कठोर अंदर से नर्म मिजाज पाया है
कभी भी न होते हुए भी उनको मना करते हुए नही देखा
कभी तो लगता है की मैंने 33 कोटि देवी देवताओं में से मैने भी एक पिता पाया है
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एक वो है जिसे देख के में चुप हो जाता हूं
उसकी झील सी गहरी आंखों की गहराई में डूब जाता हूं
इश्क भी होता है मुझे उससे कई मर्तबा
न जानें फिर भी मैं उसे देख क्यों मौन रह जाता हूं-
वक्त वो भी था एक जब हम जमाने के एक आइने में खुद को धूमिल पाते थे
धीरे से वक्त वक्त बदला तो सारे जमाने में धुंध छाने लगी
अब तो वक्त बीत रहा है और वो दौर शुरू हो रहा है की आइने को भी मेरी तलाश है-
नियति जिंदगी के साथ कुछ यूं चक्रव्यूह रचने लगी है
अब तो हंसती खेलती जिंदगी भी मौत विदित हो रही है
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