क्या करें अर्ज-ए-तम्मना कि तुझे देखते ही,
लफ्ज पैराया-ए-इजहार में गुम हो जाता है।
दिल में उठाता है बे-शुमार प्यार,
मग़र मौसम-ए-गुल में बरसती निगाहों में गुम हो जाता हैं..!-
कलम उठा दूँ और रुक जाऊ
ऐसा मिजाज नही मेरा
तुम होंगे सियासती अपने लिए
तेरी औकात लिख दूँ इतना औकात है मेरा-
रुख़्सत -ए- महफ़िल में उनका दीदार न हुआ
जो वादों के सहारे तबाह किया करते थे हमें
उनसे वो वादा निभाया न गया
और मोहब्बत में नाकामयाब वो हुए
इल्जाम हम पर लगाया गया
कि हमभी ग्वार से थे
उनके लिए खुद को बदनाम कर लिया
अब हमने भी मयखाना को घर बना लिया
उनके वादों में खुद तो तबाह कर लिया-2-
जिससे अब तक मिले नही,
उसके इंतेजार में रहते हो
उसे पाने की चाहत में पल पल तड़पते रहते हो,
ना मैसेज ना कॉल फिर भी रात भर जागा करते हो
उसके ख्वाबो में डूबे रहते हो
हर खट्टी मीठी बातों में तुम जिक्र उसका करते हो
लगता है तुम एकतरफा प्यार करते हो।।-
रास्ते पूछती है हमसे अब इधर से गुजरते क्यों नहीं,
अब कैसे बताये उसे अब नही जिनके लिए हम आया करते थे..।-
मेरी उलझनों का बेहद हिस्सा हो तुम,
जिसको सुलझा न पाऊ ऐसा एक किस्सा हो तुम,
अगर सुलझा दूँ तो तुम नही रहोगी ऐसा एक भय हो तुम,-
सुबह शाम रात दिन उसके ख्यालो में डूबा रहता हूँ,
वो कहती है मुझे प्यार नही तुमसे,
फिर भी ना जाने क्यों मैं उसके पास रहता हूँ ।-
थुशासन के ये पहचान,
बनते सुबह बिगड़ते शाम।
मुंह में गुटका बगल में पान,
लेते है कट्टा बन्दुक का नाम।
लिखते युवानेता समाजसेवी अपना नाम,
दिन भर गरीबो को लूट खाते,
इस प्रकार अपना बिताते शाम।
बकयिती में है इनका बड़ा नाम,
चाचा विधायक सांसद यार।
1 समोसा पर बिक जाता इनका इमान,
200 में कर जाते कौनो काम।
ऐसा है हमारे युवानेता का पहचान,
थुशासन के ये पहचान।-
मेरी शायरी का बेहद हिस्सा हो तुम,
कैसे कह दू की मेरी जिंदगी का खत्म किस्सा हो तुम।-