किसी की झोली में नींद है आई
किसी की झोली में ख़्वाब
मेरी झोली में तीन ही चीजें
कागज कलम किताब-
न मुझसे स्नेह सम्भले, न सम्भले सम्मान
मेरी झोली है छोटी सी, रखना तुम ये ध्यान-
कुदरत ने दिया दिल खोल कर कर के...
इंसान ने सब लिया झोली भर भर के...
बस्स..ये देने की फ़ितरत न ले पाया...-
दामन खाली है मेरा, खाली मेरे दिल के जज़्बात है।
कल तक जो मुकम्मल थे आज अधूरी वो बात है।
इश्क़ के जुमलों में तो अब दिखता ही नहीं मरहम।
बस काँच से हो गए इश्क़ की मौसम के सौगात है।
कि दोस्ती भी अब बस मतलब के लिए ही होती हैं।
दोस्त दोस्ती ये देखकर करते हैं कैसे तेरे हालात है।
अच्छे दिनों में सब लोग आकर मजलिश लगाते हैं।
बुरे दिनों में आकर देखकर चले जाते हैं औकात है।
दिल बड़ा और भरा हुआ होने से कोई फ़ायदा नहीं।
इनके लिए तो "जेब का भरा होना" ही बड़ी बात है।
वो बड़े है तो उनके सामने झुक कर ही रहना पड़ेगा।
उनके आगे-पीछे करने वालों को मिलती "खैरात" है।
मतलबपरस्त दुनिया में एहसानफ़रामोश ही रहते हैं।
उनके सामने हम सच्चे लोगों की क्या ही बिसात है।
तू तो ताउम्र "एकतन्हामुसाफ़िर" ही रह गया "अभि"।
क्या पता तुझपे मोहब्बत की कब होगी बरसात है।-
सारे जहां की खुशियां में तेरी झोली में भर दूं
बस तू मुझे अपना जहां बना ले
और मैं ख़ुद तेरी झोली में आ गिरुं-
हम तो गरीब है साहब ऎसा कुछ नहीं कर सकते,
जो ख्वाबों में ना हो उससे हम झोली नहीं भर सकते।-
" झोलियां रखो खाली कि फ़कीरी कम ना हो
मज़ार टूटी-फूटी हो पर दुआ में सर झुकता है। "
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आसमानी चाँद से फुर्सत जो पाई,
तो झोली में अपनी चाँद भर लाई।
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