याद तो बस इतना है
के तू याद से जाती ही नहीं,
बस नजरअंदाज सा करता हूँ
क़भी ख़ुदको, क़भी तुझको,
पऱ तेरी टोह का मोहः भी
यह कैसा है...,
के सोचता हूँ, के कोई तुझसा मिले
मुझे तो कोई,
तेरी यह पहेलियाँ बुझे तो कोई,
अब देखो ना...,
कल रात ही सपने में आई थी तुम,
मंदबुद्धि मैं.., जानता हूँ के, तू है नहीँ पऱ,
जाने क्यों लगता है के...,
अपने आस-पास यहीँ-कहीँ, अभी-अभी तुझे देखा है
सच्ची..., मैंने कई बार, आधी रात में ही,
सुबह को देखा है..!-
सब हवा देते गए झूठे मेरे मिज़ाज को
और आग में जलते हुए राख मैं बनता गया
-
An innocent person has to prove his
honesty more than the corrupt people.-
कष्ट, दुःख, परेशानी और मुश्किलें,
प्रारंभ में सच्चे व्यक्ति के पास रहती है
और अंत में बुरे व्यक्ति के पास चली जाती है।-
चलो जिद्द छोड़ दी हमने
तुम्हे अब अपना बनाने की,
अब ज़रूरत नहीं तुम्हें
ऐसे झूठे आंसू बहाने की।-
क्या हुआ जो खुवाब रूठे हैं
अब तो यहाँ कुछ अपने भी झूठे हैं..
गैरों के जाने से अँधेरा नही है...
रेजा रेजा मेरे मन के जुगनू भी आज टूटे हैं...-
अक्सर ऐसा होता है.
अक्सर ऐसा होता है....
कुछ सबाल और सच्चाई
बुलंद आवाज और रुपयों-पैसों के नीचे
बेरहमी से दबा दिये जाते हैं,
Read my caption's-
मैं किसी इत्र से महकूँ, ये तमन्ना कहा है मुझे ,,,
कोशिश है तो मेरी ये है किरदार से खुशबू आये,,,,-
हर शाम रोशनी से रंगीन हो जरुरी नही,
रोशनी करना अब प्रचलन है ज़िन्दगी का।-