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तुमको भी भूलना है तुम्हारे शहर को भी
दोनों मिलकर मेरे जख्मों को कुरेदते हैं....!!-
ना तुम हो ना तुम्हें पल भर देखने का कोई नजरिया है, झांसी में सर्दी भी बहुत हो रही है किसी को गर्मी के बहाने स्वेटर भी नहीं पकड़ा सकते हैं।
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मेरे कर्जदार हो झांसी वालों,
मेरा चांद तुम्हारे शहर में है।-
वो बनारस से झांसी का सफर मैं भुला ना सका,
वो जो तेरे नैनो से नैने मिले, अब तक मैं उन्हें झुठला ना सका।
पहली बार तेरा गुस्से में मुझे देखना,
और मैं फिर भी नजरे हटा ना सका।
उस वक्त कितनी बुरी आदतें थी हम में,
और मै फिर भी उस रात दो पल भी कहीं जा ना सका।
तूने कितनी मर्तवा नज़रें मिलाई थी उस रात,
पर तू इतनी खूबसूरत थी कि ये बातें आज भी अपने दोस्तों से बता ना सका।
तू जब उतरी थी ना ट्रेन से,
कसम से मैं खुद को रोने से रोक पा ना सका।
मुझे पता है कि तू बनारस की है,
पर अफसोस आजतलक ढूंढ पा ना सका।
कसम से, वो बनारस से झांसी का सफर भुला ना सका।।
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उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगाहबान है आँखें।-
मैं झाँसी किले के जैसा
तू गोमती में नाव के जैसी
किला हो गया बंजर देखो
नाव ठहरी बैसी कि बैसी
दिल टूट गया पत्थर जैसे
जिस्म ने ओढ़ ली है घास
नाव लग गई किनारे पर
सवारी से अब न कोई आस
आँधियों से गिर रहा हूँ मैं
जोड़ने को न कोई तैयार
छेद हो गया तेरे दिल में
कैसे करेगी तू उसको पार
बन रहा हूँ अब मैं मिट्टी
सड़ रही तू लकड़ी के जैसी
मैं था झाँसी किले के जैसा
तू थी गोमती में नाव जैसी-
अपराजिता है, राष्ट्र की भक्ति का नाम है
' लक्ष्मीबाई ' स्वयं ही शक्ति का नाम है
संघर्ष साहस से नया इतिहास लिखा है
धैर्य की धरा ओज का आकाश लिखा है
कृतज्ञ राष्ट्र का नमन स्वीकार हो रानी
हमेशा रखेंगे याद आपकी ये कहानी
भारत की अस्मिता अमर, वरदान चाहिए
घर घर में 'मणिकर्णिका' महान चाहिए
जन्मदिवस पर कोटिशः नमन🙏💐
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