वो जो तुम्हें वो गुलाम सा लगता है,
परिपक्व है पुरूषार्थ उसका,
गुलाम हो, वो मुझे गुलाम करता है।-
जोरू का गुलाम कहना है
तो कह देना,😏
मै तो उसे सर पर
बैठा कर रखुगां,😍
जो मेरे लिये अपना
घर छोड़कर आऐगी...!!!
💃❤❤😘-
मेरे दिल में है जोरू
दिल की धड़कन में जोरू
मेरी आँखों में जोरू
मेरी साँसों में जोरू
अरे आगे जोरू पीछे जोरू
दैन जोरु बायें जोरु
जोरू जोरू जोरू जोरू जोरू
शाम सवेरे अब मैं जोरू जोरू कहूंगा
मैं जोरू का ग़ुलाम बन के रहूँगा
मैं तो जोरू का ग़ुलाम
जोरू जोरू का ग़ुलाम
बन के रहूँगा
शाम सवेरे अब मैं जोरू जोरू कहूंगा
मैं जोरू का ग़ुलाम
अरे बन के रहूँगा
मैं तो जोरू का ग़ुलाम
जोरू जोरू का ग़ुलाम
बन के रहूँगा
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आज बिबी ने कहां परमेश्वर तु खाना बोहत अच्छा बनाता हैं मेरे लिये रोज बनाना आज से खाना बनाना
बरतनं धोना कपडे धोना घर साफ करना औरं हा नहीं किया ना तो खाना नहीं मिलेगा मेरा मार मिलेगा समझा
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तेरे प्यार को देख दिल से दुआ निकले
की गर जो मैं जोरू का गुलाम बनु तो
ख़ुदा करे हर जन्म में मेरी जोरू तू बने।-
ये फर्क क्यो
जब पति थक कर घर वापस आता हैं
तो उसकी सेवा करना पत्नी का धर्म होता
जब पत्नी कभी थक जाती हैं
तो पति सेवा क्यो नहीं करता
ये फर्क क्यो
जब दामाद बेटी की बात माने
तो वो अच्छा पति
जब बेटा बहू की बात मानने
तो वो जोरू का गुलाम क्यो
ये फर्क क्यो
@shivi
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पत्नी के बीमार होने पर अगर,
पति उसके लिए चाय बना दे तो,
वो जोरू का गुलाम नहीं बन जाता...!!🥰✌️✌️-
बीबी चालीसा
लाख टके की बात है भाई,सुन ले काका,सुन ले ताई।
बाप बड़ा ना बड़ी है माई,सबसे होती बड़ी लुगाई।
जो बीबी के चरण दबाए ,भुत पिशाच निकट ना आवे।
रहत निरंतर पत्नी तीरे,घटत पीड़ हरहिं सब धीरे।
जो नित उठकर शीश झुकावै,तब जाकर घर में सुख पावै।
रंक,राजा हो धनी या भिखारी,महिला हीं नर पर है भारी।
जेवर के जो ये हैं दुकान ,गृहलक्ष्मी के बसते प्राण।
ज्यों धनलक्ष्मी धन बिलवावे,ह्रदय शुष्क को ठंडक आवे।
सुन नर बात गाँठ तू धरहूँ ,सास ससुर की सेवा करहूँ।
निज आवे घर साला साली , तब बीबी के मुख हो लाली।
साले साली की महिमा ऐसी, मरू में हरे सरोवर जैसी ।
घर पे होते जो मेहमान ,नित मिलते मेवा पकवान ।
जबहीं बीबी मुंह फुलावत ,तबहीं घर में विपदा आवत।
जाके चूड़ी कँगन लावों ,राहू केतु को दूर भगावो।
मुख से जब वो वाण चलाये,और कोई न सूझे उपाय ।
दे दो सूट और दो साड़ी ,तब टलती वो आफत भारी।
नहीं भूल से अबला कहना, सबला की विपदा से डरना।
सर पे भारी आफत आवै , जब वो बेलन हाथ चलावै ।
इसीलिए जब वो ना राजी ,दे दो पुरे बैंक की चाबी ।
जो तारण चाहो जग सिंधु ,जय बोलो बीबी की बंधु ।
कहत कवि बात ये सुन लो ,बीबी की सेवा मन गुन लो।
भौजाई से बात ना कीन्हों ,परनारी पर नजर ना दीन्हों।
इस कविता को जो नित गाए,सकल मनोरथ सिद्ध हो जाए।
मृदु मुख कटु भाषी का गुलाम ,कवि जोरू का करता नित गान।-
मैं जोरू का गुलाम बनके रहूंगा
है मेरा वादा लेता हूँ ये ओथ
मुझसे भी लम्बी हो तेरी उमर
मेरे चांद हैप्पी करवाचौथ-
कोई अपनों के लिए गैरों के पैरों तले गिरा है,
कोई माँ बाप को छोड़ बीबी के पल्लू में पड़ा है।
वो रिश्तों को क्या समझे जिसका ज़मीर ही मरा है,
ख़ैर,जो जहां पड़ा है वो अपने संस्कारों से पड़ा है।-