जब भी करो "दुआ"
और दुआ में कुछ माँगों तो मांग लेना
बस अपनी ख़ुशी...
मुझे उससे अधिक ख़ुश तुम कभी नहीं कर पाओगी।-
मेरा इतिहास
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मैं जब भी मेरा इतिहास लिखुँगा
तुझको सबसे ख़ास लिखुँगा...
बेशक़ तू दूर है मुझसे
पर यादें हैं मेरे पास लिखुँगा...
लिखुँगा वो सारी बातें
जो नहीं होकर भी होती थी...
तेरे सपनों में मैं जगता था
तू मेरी नींदों में सोती थी...
एक पल को भी जो बिछड़ते थे हम
बड़े होते थे उदास लिखुँगा...
मुझको तेरा रूठना पसंद था
मेरा तुझको मनाना...
अभी भी मुझको भूला नहीं है
तेरा मुझको चिढ़ाना...
लिखुँगा वो गुलाब के काँटे
जूही बेला अमलतास लिखुँगा...
दिल में घुमड़ते हैं जितने भी
अनकहे एहसास लिखुँगा...
मैं जब भी मेरा इतिहास लिखुँगा
तुझको सबसे ख़ास लिखुँगा...-
सुनो चंद्र!
जब आऊं मैं
तुम्हारे अंगना
लाना एक गजरा
तुम जूही पुष्पों का
सजा देना मेरे
केशों को
अपने हाथों से
मेरा स्वप्न तुम
यह पूरा कर देना....
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दर्द में रहे फिर भी दुसरो के चेहरे पर मुस्कान लाते है
हम जूही है टूट कर भी चारो तरफ खुशबू फैलाते है— % &-
तुम चन्द्र हो मेरे
चंद्रप्रभा सी मैं
जब छुपते हो तुम
मेरे केशो की घटाओं में
महक उठती हूं जूही सी मैं....-
बेताबी भी मेरी उतनी जितनी है तू प्यासी
सब्र कर लो और थोड़ा अभी चांद का खिलना हैं बाकी
चांदनी की खुशबु से तुझको सँवारना हैं बाकी
गहरी रात में और भी महकती हैं ये जुहि
उसकी खुशबु का स्वाद लेना हैं अभी बाकी-
तितलियाँ गुलाब पर हैं जूही पर मदन कोई
धड़कनों के गर्भ गृह में हो रहा हवन कोई
दर्पणों को रख परे हम आँखों में सँवर गए
बात ये कुछ ऐसे फैली जैसे हो अगन कोई-
ज़िन्दगी हैरान कर देती है तू
कभी कभी तो परेशान कर देती है तू
कभी तुझे गले लगाना चाहूं, कभी तुझसे ऊब जाऊ
पर जैसी भी हो कमाल करती है तू-