ईमान की खातिर,मिलकर हिसाब कर।
मैं कब से लिख रहा हूं,पढ़कर किताब कर।
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2 SEP AT 13:53
बेशक न लिख ख़त मुझे,
मगर यूं खतों के बक्से पर
लटका ताला अच्छा नहीं लगता।
बेशक न कर बात तू मुझसे,
मगर शक्ति बिना
शिवाला अच्छा नहीं लगता।
बेशक न लिख कहानी मेरे नाम से
मगर बिना दोस्त, दोस्ती के किस्सों का
हवाला अच्छा नहीं लगता।
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1 SEP AT 11:50
कभी कभी हम उन्हें नाम से पुकारते हैं,
लौट आते हैं शब्द,बादल घनघोर बरस जाते हैं।-
31 AUG AT 15:25
अमृता तुम्हारे होने तक
इश्क़ भी था..
तुम नहीं,
इश्क़ भी चला गया।
-इमरोज़-
30 AUG AT 17:15
चूम कर मुस्कुराहटों ने उलझनों से कहा,
चलो उलझकर कर ज़िन्दगी फिर इंतज़ार करते हैं।-
28 AUG AT 14:39
भेजी गई चिट्ठी जब बैरंग लौटती है
डाकिया ख़त और वो शहर
सब रूठ जाते हैं।-
26 AUG AT 8:54
फलक तक से ढूंढ लायेंगे सितारे
जो खोया हो मर्ज़ी से अपनी
उस चांद को, चकोर कैसे पुकारे।-