ये मार्च में जून सी गर्मी क्यों है
कहीं तुम्हारी नज़दीकियां तो नही?-
बर्फ सी ये दिसंबर की रात जून जुलाई बन जाये
हवा हो जाये ये सर्दियां जो तू मेरी रजाई बन जाये-
मई जून सी होती गर्मी
तुम्हारी प्यारी बातों में
भीग रहे हैं मानो दोनों
जुलाई की बरसातों में
मैं भी जलता तुम भी जलती
दिसम्बर की सर्द रातों में-
जून में किसी को
सर्दी की गुलाबी धूप देखनी हो तो
वो तुमसे मिले ❤️-
हवायें रुख बदल रही हैं इधर
पत्ते गुनगुना रहे हैं गीत कोई
जवान हुए साल की आँखों में लगता है
उम्मीद ने सपनों की नयी बेल है बोई ।-
अहा !
जून खुश है
सूने स्टेशन पर
फिर वही... चाय वाला
मुँह तोपे दिख जाएगा
जून प्रसन्न है..
आटा दाल चावल
किराना भरकर ले जाएगा
समय की फूटी गुल्लक
पूरा देश...
खुल गया है अब...
जून !.. तुम्हारा स्वागत है
पर जरा ..
सतर्क होकर आना .... । कविता
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कोई कहता है गर्मी ऊन में होती है।
कोई कहता है गर्मी जनून में होती है।
कोई कहता है गर्मी पैसों में होती है,
कोई कहता है गर्मी ख़ून में होती है।
लोग जल रहें हैं,कबाब हो गए, पसीने से तर-बतर,
अरे ! सबसे ज़्यादा गर्मी तो "jeet" जून में होती है।
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