मय्यत पर कहने आया है मोहब्बत है तुमसे
बेनाम ये बात पहले कहता तो शायद हम और जीते-
तकदीर इतनी बेरूखी कर गई हमसे,
कि हम ख़्वाहिशों में जीते रहे,
आज ख़्वाहिशों से ही हार गये।-
जी ली जिंदगी जब तक जवानी न आयी थी,...
अब बुढ़ापे पे आकर जवानी ढूंढ रहे हैं..-
इस जहान में न सही,
उस जहान में मिलेंगे,
जीते जी न सही,
फ़ना हो के मिलेंगे.-
जीने के लिये दिल तो लगाना ही पड़ेगा
खुशी मिले या गम उसे भी गले से लगाना ही पड़ेगा-
जिन्दगी क्या जीते हो बेढंगों की तरह
जिन्दगी जीना है तो जियो मलंगों की तरह-
जीवन की दोपहर
बाद की धूप छांव
मेरे हमसफर यूँ ही
साथ चलते रहे
अब तो बस अपने
तजुर्बों को जीते रहे-
कमज़ोर हैं, जो बार-बार, गलतियां, दोहराते हैं,
फ़िर तेरे आगे, झुक-झुक कर, गुहार लगाते हैं।
तुम भी तो मजबूर हो, सज़ा देना भी, ज़रूरी है,
हम भी मजबूर हैं,अपने आप से ही हार जाते हैं।
न सुधरना हमारे बस में,न सुधारना आपके हाथ
सदियों से इसी तरह तो, ये जीवन जिए जाते हैं।
कर्म और भाग्य का मिलना, बड़ा ही मुश्किल है,
हैरान परेशान इंसान यहाँ,आते हैं, चले जाते हैं।
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