कैसे भूल जाऊँ इस सर्द भरी दिसंबर को,
जिसको वापस आने में फिर से एक साल तक इंतज़ार करना पड़े...!-
जिस एक को हमारा दिल खोना नही चाहता थी,
वो ही हमारा होना नही चाहता था....-
जिसको लिखते है हम अपना खुदा
बस वो कुछ दिनों में चल बसा
दरियादिली थी या हकीकत, ख्वाब बुनता रहा
शिकस्त के नाव में सवार हो चला ।
अपने ने अपनों के काफिलों को लूटा
किसका साथ मिला, किसका साथ छूटा
मझधार की रंगीनियत शाम में ढ़ली
वक्त ने भी हमें बेवफा ठहराया ।
उनको इश्क और दर्द काफी है बयाँ करने के लिए
गैरों ने बार बार सवाल किया है
दुनिया की धूँप में हम पके
कारवाँ लम्हा लम्हा उनका बदलने लगा ।
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मुड़कर देखना छोड़ दो उनको,
जो दूर जाया करते है,
साथ नही चलना होता जिनको,
वो अक़्सर रूठ जाया करते है!!!-
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं-
इस दिल ने जिसको चाहा था,
उसने ही दिल को तोड़ दिया.!
स्वतंत्र,उसे तकलीफ़ क्यों दूँ?
लो नाम ही लेना छोड़ दिया..!
सिद्धार्थ मिश्र-
कुछ ऐसी मोहब्बत उसके दिल में भर दे ए खुदा ,
की वो जिस किसी को भी चाहे वो "मैं" बन जाऊं ।-
रख देंगे जान हथेली पर तो
क्या कोई मान जाएगा।।
जिसको प्यार ही नहीं उसे
क्या प्यार कभी ये दिख पाएगा।।-
"जिसको खुदा माना हम ने 😢
आज उस ने मेरी वफ़ा का मोल बता दिया
कहा तुम मेरी ख्वाहिश पुरी नही कर सकते
भला प्यार से बढ़कर क्या ख्वाहिश है।। Ap
AMSINGH
,,मेरा इश्क़,,-
"जिसको भी जितना जोर लगाना है लगा लो,
में नहीं कभी हारा था और नहीं मुझे कोई हरा ने वाला है".।-