Paid Content
-
ऊँची मजबूत चारदीवारी थी,
मगर एक खिड़की खुली थी।
घुप्प अँधेरा सा कमरा था,
खिड़की से रोशनी आ रही थी।
जीवन की चारदीवारी में,
बस वही खिड़की हो तुम।
मेरी ज़िंदगी तुमसे नहीं,
मगर इतने जरूरी हो तुम...-
अपनी शायरियों में
बस खुद की बात करनी है__
ऐ ज़िन्दगी सुन
एक नयी शुरुआत करनी है __
सोचना छोड के औरों के बारे में
बस अब खुद की तलाश करनी है__
ऐ ज़िन्दगी सुन
एक नयी शुरुआत करनी है __
बहुत तराशा है नये शब्दों को
उस हसीन की नजरों में __
अब बस खुद पर लिखना है
बस खुद की तराश करनी है
ऐ ज़िन्दगी सुन
एक नयी शुरुआत करनी है __
छोड के गमो के पल
अब हसीन लम्हों की बरसात करनी है __
ऐ ज़िन्दगी सुन
एक नयी शुरुआत करनी है __
-
जो सुकून मां के आंचल में है,
वो तुम्हारी ज़ुल्फों में कहां रखा है,
मैं जब झुका उनके कदमों में,
तो देखा वहां सारा जहां रखा है।
कल मौत आयी थी मुझे साथ ले जाने,
मैंने उससे डरकर आखें बंद कर ली,
और जब आंखें खोली तब पता चला,
मां ने उसके कान मरोड़कर उसे भी भगा रखा है..
🥰🥰😍😍😘😘😊😊🤗🤗-
जिंदगी में पाने के लिए बहुत कुछ है
मगर खोने के लिए
खुद के अलावा कुछ भी नहीं है-
मतलब मेरे जहान में , 'मिट्टी' के ढेर सा
जिस 'रंग' चाहे ढाल लो , 'सांचे' में जिस मुझे-
किसी को सफलता के लालच में, लटका के रखा है।
किसी को असफलता की धमकियों से, डरा के रखा है।
ज़िन्दगी भी मस्त पहेली है,
सबको अलग अलग खिलौनों में उलझा के रखा है।
-
Mujhe manjur hai kisi ka sahara banna,,,
Par manjur nhi apni zindegi kisi ke sahare jeena..-
उन दो पंक्तियों में
मैंने अपनी पूरी कहानी लिख दी |
" मौत बड़ी पास से गुजरी ,
जिन्द़गी ने होंठों पर झूठी मुस्कुराहट रख दी |
-