तस्वीर मिल गई
(कैप्शन में पढ़ें)
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ज़िंदा जिस्म बनकर रहने से अब क्या फ़ायदा?
स्मारक बनो गर तो कभी-कभार माले भी चढ़ेंगे।-
ये जमाना भी क्या अजीब लगता हैं
कुछ लोग ज़्यादा जी ले तो सबकों बुरा लगता है
और अगर कहीं लोग ज्यादा मर गए
तो जमाना दहशत में लगता है-
ग़र ज़मी ज़िन्दा है तो
क्या आसमान मरा है
या
ग़र आसमान ख़ाली है
फ़िर ज़मी में क्या भरा है-
शीर्षक -- ।। हिम्मत ।।
जिंदा रहूं या मर जाऊं इसी कश्मकश में जिंदगी को खुशी खुशी जिये जा रहा हूँ । समस्या तो अथाह है और इनका हल शून्य । फिर भी तूफान भरी जिंदगी में नौका रूपी जीवन का पतवार कैसे छोड़ दूं । मेरे नाव पर कई मासूम सवारी भी हैं जो मेरे भरोसे हैं!-
एक उम्मीद ही तो है जिसके सहारे हम जीते है ,
वरना साथ छोड़े तो कई दिन हो गए ।
😔💔💔😟-
मैं जिंदा लाश बनकर रह गया तुम्हारे दिल की मीनारों में ,
कश्तियां डूब गईं समुंदर में और साथ छोड़ दिया किनारों ने ,
खिल गए फूल तुम्हारी बगिया के यहां तो पतझड़ है बहारों में ,
सींचता था मै तेरे ख़्वाबों को बस तेरे थोड़े ही इशारों में ,
सूख गईं डाली मेरी सबके घर हरियाली फिर भी खुश हूं इन नजारों में ,
मै जिंदा लाश बनकर रह गया तुम्हारे दिल की मीनारों में ।।
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जिस दिन उसका ज़मीर ज़िंदा होगा
अपने किये गलतियों पर बहुत ही शर्मिंदा होगा-