कुछ इस तरह से वो मुझे आजमाने लगे,
हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा दिखाने लगे।
किसी को समझना इतना आसान तो नहीं,
हर एक को समझने में ज़माने लगे।
जो पसंद हो वो किसी को नहीं मिलता गौरव,
क्या दिक्कत है?अगर तुम्हें भी नहीं मिले।
इन्हीं झूठी बातों से दे देते है खुद को तसल्ली,
अब दर्द कुछ-कुछ कम होने लगे।
-