जंग का खौफ है, क्या फर्क पड़ता है तू किधर है।
दिल में बदले की आग लिए बैठे हैं,
ना जाने अंजाम क्या होगा पर मौत का रास्ता चुन बैठे हैं।
किसी ने भगवान का नाम लिया तो किसी ने अल्लाह को याद किया,
मौत का मंजर अपनी आंखों से देखा तो,
इंसानियत की ओर अपना मुख मोड़ लिया।
ढेर है लाशों के, जाएं जिधर नजर।
तुम जश्न मनाना दुश्मन के मौत पे,
मैं पैगाम लिख याद दिलाऊंगा कि तुमने इंसानियत खो दी आज।
किसी की राखी किसी का सिंदूर तो किसी की लाठी आज श्मशान पहुंची है,
देख आ के उनके घर का माहौल, जरा आ के देख तू,
आसमां भी क्या खूब लाल-पीला हुआ है।
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