तुम्हारी आँखें खुली हैं लेकिन ज़मीर तुमने सुला दिया है
चले भी आओ बचाने वालो शहर ये देखो जला दिया है
हमें ये उम्मीद थी कि इक दिन हमारे आँगन में गुल खिलेंगे
गुलों से मिलने की आस ही ने हमें अज़ल से मिला दिया है
वो अपने पापा की लाड़ली थी जिसे बमों ने बिखेर डाला
उसी के हाथों में हंसती गुड़िया ने हम सभी को रुला दिया है
वो अपने बेटे से हंस के बोला मेरी वजह से है शर्म कैसी
तुम्हारा बचपन संवारने में ख़ुदी को मैं ने भुला दिया है
न जाने कितनी ही ख़्वाहिशों ने हमारे ख़्वाबों में जान दे दी
न जाने कितनी ही हसरतों को ज़रूरतों ने रुला दिया है
सुना था शमशेर नाम का वो नया नया था मुशायरे में
ये सुनने वाले बता रहे थे, बड़े बड़ों को हिला दिया है-
🎤A published poet and critic who loves to wri... read more
हमने तो आप पर भी इक एहसान कर दिया
अपनी अना को आप पे क़ुर्बान कर दिया
अख़लाक़ ऐसा पेश किया हमने रूबरू
गोया कि मेज़बान को मेहमान कर दिया
बच्चे ये एक रोज़ में बालिग़ से हो गए
बचपन को जिन के आपने वीरान कर दिया
दिल से निकालने में तुझे इक झिझक सी थी
तेरी शरारतों ने ये आसान कर दिया
लाएँ कहाँ से आज वो जीने का हौसला
जिनके दिलों को आप ने श्मशान कर दिया-
मुझे ग़म नहीं किसी बात का, बस ख़ौफ़ है बरसात का
जिसे जोड़ते रहे रात दिन, उसी घर की छत में शिग़ाफ़ है !!
مجھے غم نہیں کسی بات کا، بس خوف ہے برسات کا
جسے جوڑتے رہے رات دن، اُسی گھر کی چھت میں شگاف ہے-
झूठा है ये प्यार, चलो अब रहने दो
हम तो हैं बेज़ार चलो अब रहने दो
कहते थे परदेस में तुम याद आओगे
ना चिट्ठी ना तार, चलो अब रहने दो
सारा हफ़्ता खाया तुमने बातों में
मेरा है इतवार, चलो अब रहने दो
जात-पात में काहे उलझे हो तुम सब
छोड़ो ये तकरार, चलो अब रहने दो
आओ मिल कर ढूँढें रोज़ी-रोटी सब
लड़ना है बेकार चलो अब रहने दो
दुल्हन लेने आए हो तो ले जाओ
क्या बंगला क्या कार चलो अब रहने दो-
तू लाख चाहे मुझे राह से हटाने को
ख़ुदा है काफ़ी मुझे रास्ता बताने को
ये मेरी पीठ का ख़ंजर गवाह है सुन लो
किसी में दम ही नहीं था मुझे हराने को
ये उसका फ़ैसला है, क्या उसे पहनना है
कहाँ से आए हो तुम रास्ता बताने को?
ये बुज़ुर्गों ने कहा है तो सच कहा होगा
तेरा अतीत बहुत है तुझे सताने को
तू ज़ुल्म करके समझता था जीत जाएगा
मैं ज़ुल्म सह के हूँ उम्मीद में हराने को!
अगर सही हो तो डरने की क्या ज़रूरत है
अगर ग़लत हो तो फिर कौन है बचाने को?-
ये मेरी पीठ का ख़ंजर गवाह है सुन लो
किसी में दम ही नहीं था मुझे हराने को
یہ میری پیٹھ کا خنجر گواہ ہے سُن لو
کسی میں دم ہی نہیں تھا مجھے ہرانےکو-
ज़िंदगी का क्या है ये जैसी भी है कट जाएगी
सारी दौलत वारिसों के बीच में बट जाएगी
आज गर आँखें न खोलीं और तौबा ना किया
कल ये धरती आप के पैरों तले फट जाएगी
ऐसे नाउम्मीद ना हो रह्म से रहमान के
देखते ही देखते यह तीरगी छट जाएगी
जो मिला है रब से उसको मुफ़लिसों में बाँट दे
ज़िंदगी में जो मुसीबत होगी वो हट जाएगी
देखते ही देखते इक उम्र हमने काट दी
जो बची है वो भी तेरी याद में कट जाएगी-
दर्द जो हद से बढ़ा तो मैं दवा दे जाऊँगा
गर दवा ने साथ छोड़ा तो दुआ दे जाऊँगा
उम्र भर जो मैं अंधेरे में रहा तो क्या हुआ
जुगनु बन कर जीतने का तजरबा दे जाऊँगा
इस क़दर हालात ने छलनी किया है जिस्म को
उम्र से पहले ही शायद मैं दग़ा दे जाऊँगा
क़ौम मीठी नींद में सोती रही यह मान कर
मारने वाले ने बोला है, निदा दे जाऊँगा
मुख़्तलिफ़ है सोच मेरी, मुझ को तनहा छोड़ दो
मैं अकेला कारवाँ हूँ, रास्ता दे जाऊँगा!-
हमको डूबा रहे हैं जो कह दो उन्हें ज़रा
मोती निकालने का हुनर जानते हैं हम
ہم کو ڈُبا رہے ہیں جو کہہ دو انھیں ذرا
موتی نکالنے کا ہنر جانتے ہیں ہم-
तुम पर जो ऐतबार किया, क्या बुरा किया
ता-उम्र तुमसे प्यार किया, क्या बुरा किया
यूँ तुम तो एक बार ना इज़हार कर सके
हमने जो बार बार किया, क्या बुरा किया
जब जब कहा ये दिल ने तुम्हारा यहाँ है कौन
हम ने तुम्हें शुमार किया, क्या बुरा किया
पाला था आस्तीन में साँपों को आज तक
ख़ंजर जो आरपार किया, क्या बुरा किया
हथियार सारे छीन लिए हमसे आप ने
हमने क़लम पे धार किया, क्या बुरा किया
आबा हमारे मर मिटे इस मुल्क के लिए
हमने भी जाँ निसार किया क्या बुरा किया!
शमशेर माल ओ दौलत ए दुनिया को छोड़ कर
ख़ुशियों से तुमने प्यार किया, क्या बुरा किया-