रात सीने में दर्द उठ बैठा हूँ अभी,
धीरे ही सही पर दवा ले बैठा हूँ अभी,
डांक्टर ना सही, माँ के पास आ बैठा हूँ अभी,
ऊबन सी हो रही थी, तभी घर के बाहर आ बैठा हूँ अभी,
फिर भी मचल सा रहा है ये दिल मेरा,
तभी टहलने नीम के पास आ बैठा हूँ अभी,
दर्द ए दवा का कमाल शुरू ही हुआ,
तभी माँ भी मेरे पास आ बैठी है अभी,
एक घबराहट थी मेरी माँ के आखों में ऐसे गुमसुम देखकर,
तभी हलकी सी मुस्कान दिखा,ये दर्द छुपाये बैठा हूँ अभी,
माँ को दर्द ना हो तभी फिर अकेला बिस्तर पर बैठा हूँ अभी,
बस किसी तरह माँ की नींद के लिए ये नींद उड़ाये बैठा हूँ ,
रात सीने में दर्द उठ बैठा हूँ अभी,
बस थोड़ी सी रात बाकी है, तभी माँ से ये दर्द छुपाये बैठा हूँ अभी.... हाँ.... अभी.... बस.... अभी.... हाँ.... अभी....
Vimal Pandey #OQ
-