आहट न हो दस्तक पे, ये वो दौर तो नहीं है।
घर किया तुम्हारे दिल में, कोई चोर तो नहीं है।
जमानें की साजिशें हैं, इसे यूँ तोड़ने की
प्यार की डोर, इतनी कमज़ोर तो नहीं है।
मर मिटा है कोई, तुम्हारी इन अदाओं पे
मुहल्ले में उड़ा, ऐसा कोई शोर तो नहीं है।
मेरी नाव की पतवार है, अब तेरे ही हाथों में
रोक दी कश्ती, इधर कोई छोर तो नहीं है।
दरकिनार करने लगे हो, मुझे खुद से "नवनीत"
"हमारे दरमियाँ", कहीं कोई और तो नहीं है।
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