आहट न हो दस्तक पे, ये वो दौर तो नहीं है।
घर किया तुम्हारे दिल में, कोई चोर तो नहीं है।
जमानें की साजिशें हैं, इसे यूँ तोड़ने की
प्यार की डोर, इतनी कमज़ोर तो नहीं है।
मर मिटा है कोई, तुम्हारी इन अदाओं पे
मुहल्ले में उड़ा, ऐसा कोई शोर तो नहीं है।
मेरी नाव की पतवार है, अब तेरे ही हाथों में
रोक दी कश्ती, इधर कोई छोर तो नहीं है।
दरकिनार करने लगे हो, मुझे खुद से "नवनीत"
"हमारे दरमियाँ", कहीं कोई और तो नहीं है।-
उसनेे मेरे लिए सारे दरवाज़े खुले रखें हैं
लेकिन मैं तो चोर हूं, खिड़की से ही आउंगी!-
किसी के दिल पर जनाब! किसी का क्या ज़ोर है
अगर हमारा चाँद चोर है
तो मियाँ जी समझो, उसके दिल में कोई और है-
सुकरात ने कहा है -
अगर कोई अच्छा चोर है,
तो वह अच्छा रखवाला भी बन सकता है!
और अगर कोई अच्छा रखवाला है,
तो वह अच्छा चोर भी बन सकता है !
आज हमारे देश में यही हो रहा है ....
चोर,चोर ही है ;
और रखवाले चोर बन गये हैं ।।।
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बेगुनाह चोर मिरा, घर से रिहा है,
तुम घर रहते, कातिल बन बैठे हो ।-
चोरों की बस्ती में रहते हैं
दिल की तिजोरी खुली छोड़ रखी है
न किसी की दोस्ती, न किसी का प्यार
न कोई पूँजी जोड़ रखी है
आयेगा ग़र कोई चोरी के इरादे से
तो कोई ताला न तोड़ पायेगा
देखेगा जब इस दिल का ख़ालीपन
ख़ुद का प्यार भी छोड़ जायेगा-
मैं खुद एक चोर हूँ मेरी मुस्कान कोई क्या चुराएगा..
आएगा वो कमबख्त अपना दिल लेकर लेकिन अभि उसके सीने से दिल दिल से सुकून और आँखों से नींद चुरा जाएगा...
#चोर_अभि-
** # चोरों के नाम प्रेम पाती #**
एक शब्द भी न टपका,कलम से आप की,
'चुराओ-चस्पा करो' कह गया कविता आप की..
रहे घिसते कलम हम रात भर सेवा में आप की,
उठा कर चल दिये तुम यूँ के हो ज़ागीर बाप की..
संभल जाओ, हैं नज़रें हमने गड़ा रखी अब तुम पर,
किसी दिन जनता के बीच कर देंगे ताजपोशी आप की...
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डरता हूँ अच्छी कविताएँ पढ़ने से।
कहीं मेरे अंदर भी कोई चोर न जाग जाये...-
गली में कोई चोर चोर चिल्ला रहा था।
बाहर निकल कर देखा, एक नेता उधर से जा रहा था।-