मेरे हाथों में खनकती
लाल पीली रंग- बिरंगी
पिया के मन को भाती
मनभावन ये चूड़ियाँ।
देती मुझे एक नया जीवन
इन चूड़ियों के बदौलत
सौंप देती मैं अपना मन
कर देती सर्वस्व समर्पण।
पर इन बैरीन चूड़ियों की हकीकत
दिखलाती मुझे अलग ही रंगत
बांध देती मुझे कर्तव्यों से
कर देती है अधिकारों से परे
मिटा देती मेरी हर इक चाहत।
मेरी हाथों में खनकती ये चुड़ियाँ
कर रही मेरे दर्द को बयाँ
मेरी गुलाबी हाथों से लिपटी चुड़ियाँ
प्रतीत होती है अब हथकड़ियाँ।-
हो दूर तुम मगर है मेरे पास इक ख़याल
ख़याल है विसाल का जुदाइयों के बीच।
ख़याल बेज़ुबान मगर बोलता है ख़ूब,
खनक है चूड़ियों की ज्यों कलाइयों के बीच।
(दिनेश दधीचि)-
दम तोड़ रही थी कलाई पर
एक स्पर्श की ख्वाहिश,
बेचेन चूड़ियाँ खनकती रहीं
बहुत देर तक.-
हर लड़की को दंगल में उतारना है मुझे,,,।
चूड़ियों का बोझ बढ़ गया है बहुत,,,।-
पहनाओ हथकड़ी और गिरफ़्तार कर लो मुझे,
सूनी कलाइयां चूड़ियों को तरसती हैं बहुत...-
वो रहे हमेशा मेरी कलाइयाँ पकड़े
ऐ खुदा...🙇♀
उसके नाम की मेरे हाथों में चूड़ियाँ कर दे💖💖-
कहीं यहां तो कहीं वहा
उसकी यादों में धड़कता रहता है दिल
बातों में उलझा सा रातो में
बेचैन सा रहता है दिल
शोर मचाता रहता है दिल
मेरी पायल की रुनझुन,
मेरी चूड़ियों की खनखन
में जो शोर रहता है वैसे
ये शोर मचाता है दिल।।
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चूड़ियों जैसी होती हैं लड़कियाँ ...
खनकते खनकते कब टूट जायें
पता ही नहीं चलता-
कलाई ना पकड़ा करों ना पास आया करों.. साहब
बात चूड़ियों की नहीं जज्बात मचल जाते हैं..💓-