त्रस्त हो कर जब मैं,
गाती विकल गीत मां
हाथ थामकर रास्ता दिखलाती
बनकर मेरी मनमीत मां
तेरी मधुर कामना से
होगी मेरी जीत मां
तेरी दुआ में शामिल मेरी खुशियां
कितना सुन्दर तेरा प्रीत मां ।— % &-
कला के गुण मै गाती हूं,
नव अंकुरित लेखनी ये मेरी
भाव छुपे बतलाती हूं।... read more
लोग कहते हैं नजरिया बदलो नजारा बदल जायेगा
हर नजरिए से देखा है तुझे ऐ जिंदगी।।।-
मिले आपके ताल की झंकृति मैं गौण से वृथा हो जाऊं अमर हो मेरी काव्यकृती मैं पन्नों पर 'अंकिता' हो जाऊं
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लफ्जों ने बहुत कुछ कहा
पर शायद वो बयां नहीं हो पाया,
जो खामोशियों ने कहा
जो नजरों में छलक आया
शब्दों ने उसे परे कर दिया।
यूं तो भरे मिलेंगे सारे पन्ने
पर राज तो उन कोरे पन्नों में है
जिसे शब्दों ने ढक लिया है
हमारे शब्दों के बवंडर में
छुपी होती है कोई चीज
जो हमें पाना होता है
वो हम पा लेते हैं,
और जो हम पाना चाहते हैं
वही उस कोरेपन का हिस्सा होता है
जिसे शब्द ढक लेती है
शब्दों के आवरण से,
कतरा कतरा खोते हैं हम उसे
शायद खामोशियों में वो हिम्मत नहीं
जो उसे खारिज करे,
और शब्दों की ये फितरत नहीं
जो खामोशियों के अल्फाज़ बयां करे।।
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उठाऊं कलम हर रोज लिखूं मुझे लेखनी बहुत प्यारी है
झूठ, फरेब, बेईमानी मुझे पसंद नहीं जनहित में जारी है।-
जमीं से बंधी डोर
उड़ान उच्चाइयों के संग
खोलकर सारी बंदिशें
ख्वाहिशें बने पतंग।
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सफर है रात तो मंजिल भोर होगी
छटेगा अंधेरा उजियाला चहुंओर होगी
जला एक दिया और अपनी उम्मीद का
तुम्हारी जीत की गुफ्तगू हर ओर होगी।
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गणित से कठिन जीवन की सरल रूबाई है हिंदी
अंत: करण में गुंजित निज भावों की अंगड़ाई है हिंदी कण-कण मेरा इसे समर्पित रग-रग में इसकी धार बहती,
मेरी काव्य की कंचन मेरी लेखनी की मधुराई है हिंदी।
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मैं हूं बस एक कला उपासक
कला की गुण मैं गाती हूं
नवअंकुरित लेखनी ये मेरी
भाव छुपे बतलाती हूं!
शब्द जब हो जाते मौन
वृथा आशय हो जाता गौण
कलम की धार बढ़ाती हूं
शब्दों की मान बढ़ाती हूं!
नीरस शब्दों में रस भरकर
भावों को सहज बनाती हूं
सागरतल से चुनकर मोती
गीतों में सजाती हुं!
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