रुला दो फिर हमें ,
शायद सँवर जाएं हम।
ऐसा न हो दर्द लेकर,
घुट घुट के मर जाएं हम।।-
घुट घुट के मारने से अच्छा जहर की प्याली खुद दी होती,
यह खुशी भी हंसते हंसते उस प्याली को पी कर शरीर तुझसे दूर की होती....-
जरूरी होता है बयां करना हाल-ए-दिल..
जो सिल लेते हैं होठों को
उन्हें घुट-घुट कर जीना पड़ता है...-
घुट घुट कर जीने दो मुझे!!!
दो पल चलो चैन की सास घटकने दो
थोड़ा आराम से मुझे भी समझने को वक्त दो
सागर की तरह बस बह ने दो बस बह जाने दो
खुश तो मैं रख पाती नहीं इसलिए बस रहनेे दो
खुश तो मैं बहुत हूँ साथ कोई शक खुद से ना रखो
घुट घुट कर खुलने दो मुझे!!!
मेरी आवाज में डूबते रहो मैं तुम में समा जाऊँ
ना सुनो मैं किसी तीसरे की ना सुनते रहूँ
घुट घुट के बस मैं तेरी आवाज़ से खुलते रहूँ
तो उदास ना हो यूँ बस हंसते रह तेरी मुस्कान से
मैं भी खुश होती रहूँ...-
जीने की आरज़ू में, घुट घुटकर मत जी तू जीवन सारा
ज़िन्दगी तो नाम है, जिन्दादिली से हरदम जीने का..-
अक्सर लोगों को मनाने में
दिल खुद से रूठ जाता है
करता है खुद से सवाल
क्यों तुझे घुट-घुट कर
जीने में मजा आता है ।-
जो आपका था,उसे भी हमने ही चुराया है,
न चाहकर भी हमने आप पर इल्जाम लगाया है
और चाह कर भी हमने इसको किसी से बता नहीं पाया है,
पर क्या कहें इसको,हालात या मजबूरी
इसमें घुट-घुट कर कर रहना भी तो आप ही नें सिखाया है !!!
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तुम कब तक यूँ ही मिलोगी घुट घुट और छुप छुप कर,
चलो इन दीवारों के बाहर जिदंगी इंतजा़र कर रही है।-
रात दिन तुझको मेंं याद करता रहा ।
तेरी यादों मेंं घुट घुट के मरता रहा ॥
तुमने मुझको कभी अपना समझा नहीं
पर मेंं तुझको तो अपना समझता रहा ॥
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