मुझे नहीं जाना मेले में, पापा!
मुझे डर लगता है ..
डर लगता है कि कहीं
तुम्हारी उंगली मुझे छूट न जाए
अभी छोटी हूं ना ! पकड़ कमजोर है
दुनिया भर की चकाचौंध लुभाती है
रंग बिरंगे गुब्बारे , रंगीन बत्तियां , खिलौने
अपनी ओर आकर्षित करते हैं
पापा ! मेरी उंगली छूटने मत देना
हो सकता है इस भीड़ में
मैं भटक जाऊ ,मुझे ढूंढ
मेरा हाथ थाम लेना
जो मेले की भीड़ में
कुछ आँखें घूरती रहती है ना !
मुझे बहुत भय लगता है उनसे
भीड़ की ओट में ,जो थपकी देते हैं ना
वह दुलार-सी नहीं लगती
मुझे भीड़ में अपनी गोदी में उठा
लिया करो पापा ,अपना हाथ
मत छूटने देना पापा
साथ मत छूटने देना , पापा ....-
ना कोई अता था ना पता।कौन था जो राधिका की रूह में महसूस होता था ।आज सुबह से रात का एक बज चुका था जाने कितनी बार महसूस हुआ जो अभी भी उसे जगाए हुए था ।नींद आंखों से कोसो दूर थी ।मन कर रहा था कि वो किसी की गोदी में सर रख जोर जोर से रो ले ।माँ भी तो नही थी उसकी ।आज उसे इस पल में अपनी माँ बहुत याद आ रही थी ।कहीं ऐसा तो नही था कि आसमाँ से माँ याद कर रही हो ।बस बेचैन होकर राधिका उठ कर बाहर बालकनी में आ गई और आसमाँ पर छाए उन तारो को देखने लगी।पर धीरे धीरे तारे कहीं गुम होने लगे और उनकी जगह काले घने बादलों ने ले ली। ठीक वैसे ही जैसे उसके दिल पर बेचैनियों ने ।
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डर गई मै इस दुनिया से
मां फ़िर से मुझे आंचल में छुपा ले
थक चुकी हूं निभा कर ज़िम्मेदारियां
मां फ़िर से मुझे गोदी में उठा ले
जागी रहती हूं मैं रातों में कल की फ़िक्र में
मां फ़िर से मुझे लोरी गा कर सुला दे।
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आज फ़िर मुझे जी भर रो लेने दे ना माँ
चैन से अपनी गोदी में सो लेने दे ना माँ
जो मेरा था उसे भी छीन लिया वक्त ने
अपने कंधे पर सर रख रो लेने दे ना माँ
मैं तो भूल गई तू भी इस दुनियाँ में नही
अपने घर का पता अब तू बता दे ना माँ
सुना है तू आसमाँ में तारा बन चमकती है
तू कौन सा सितारा है मुझे बता दे ना माँ
खुलती नही पलके रो रो के बेहाल हुई
दिखता नही कोई तो रास्ता सुझा दे ना माँ
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माँ खुद को नहीं सँवारती है
तकलीफ़ होने पर भी गोदी से
नहीं उतारती है ,दुनिया चाहे
कितने ही इल्जाम लगाये, उसके
बच्चे पर ,लेकिन माँ उसे नहीं मारती है-
दो पल सुकूँ के जो जीवन में भर जाती है,
अपनत्व की गोदी में...मुझे सुला जाती है।
कुछ जुदा-सा लगता है 'नमन' आज-कल खुद से,
दो पल की निदिया भी......जो खफा हो जाती है।-
जितने मीडिया के कैमरों ने
भ्रष्टाचार की इमारतों को
24/7 गिरते हुए कैद किया है..
उतने कैमरों ने अगर देश में भयावह बेरोजगारी के हालातों को कैद कर लिया तो देश की दिशा और दशा दोनों बदल जाती..!-
माँ के बग़ैर भी कोई घर, घर होता है
माँ के साये में बच्चा पलता ,बड़ा होता है
कोई मेरे भी सर पर, ममता का हाथ रख दे
माँ के बिना जीना बड़ा मुहाल होता है
बड़ी तलब रहती है कोई सीने से लगाये
माँ सा कोई प्यार दुनियां में कहाँ मिलता है
कितना भी दर्द हो तकलीफ़ हो दुनियाँ में
माँ तो छुपा लेती है अपने आँचल में
उसकी गोदी में सर रख आराम मिलता है
माँ के बग़ैर भी कोई घर, घर होता है
माँ के साये में बच्चा पलता, बड़ा होता है
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देश को मीडिया के चश्मे से देखना बंद कर दीजिए
यकीं मानिए ,आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे-
कौन कहता है माँ को देखे मुद्दत हुई
माँ आज भी मेरे सपने में मिलने आती है
रखती है सर पर अपना ममता भरा हाथ
अलाए बलाए सब साथ ले जाती है
रखती हूँ सर उसकी गोदी में
ममता का आँचल वो मुझ पर लहराती है
गाती हैं मीठी लोरिया ,लोरिया गा गा मुझे सुलाती है
थपकियाँ देती है अपने हाथों से
जाने मुझे नींद कब आ जाती है
रात भर बैठी रहती हैं मेरे सिरहाने
सुबह आँख खुलती है तो माँ जाने किधर छू हो जाती है
तकिये तले रखी रहती है हर दम मा की तस्वीर
माँ की तस्वीर देख पलके भीग जाती है
हा सच मे माँ बहुत याद आती है
हा सच मे माँ बहुत याद आती है-