हमें गर्दिशों में देखकर किनारा करने वालों हम वो नहीं है जो टूटकर बिखर जाते हैं कभी तारीख भी पढ़ो शिद्दत से हमारी आशिके -रसूल तो मुश्किलों में निखर जाते हैं
मेरी तमाम दलीलें, नाकाफी नज़र आईं मियां जब उसने कह दिया कि, पहचानते नहीं कैसे होता इंसाफ भला, तुम ही कहो अदालत में जज ने कहा कि हम वफ़ा को सबूत मानते नहीं
*किसी ने हज़रत अली से पूछा कि जिनकी मां नहीं होती उनके बच्चों को दुआ कौन देता है, आपने फ़रमाया कि झील अगर सूख भी जाए तो मिट्टी से नमीं नहीं जाती इसी तरह मां के इंतकाल के बाद भी वह अपनी औलाद को दुआ देती रहती है *
गर इश्क को इश्क की तरह किया होता तुमने बा-खुदा फिर तुमसे कोई शिक़ायत नहीं होती गर बुनियाद होती वफ़ा, मोहब्बत की इमारत की फिर दुश्मनों में भी, गिराने की हिमाकत नहीं होती