मुझे ये गरजते बादल आदमी लगते हैं,
और बरसती बूंदें, औरत;
एक आदमी जब ऐसे ही चीखता- चिल्लाता है,
तब इन बूंदों की तरह औरत भी बस बहने लगती है!!-
4 MAR 2020 AT 7:39
3 AUG 2019 AT 15:10
वफा का ज़माना नहीं रहा,
ये बादल भी बेवफा हो गए।
"गरजते" कहीं हैं और
"बरसते"...-
24 APR 2019 AT 14:28
बादलों सी हूँ मैं,
कभी गरजती हुई,
कभी बरसती हुई,
कभी उमड़ती घुमड़ती
कभी खामोश बैठी हुई,
कभी उड़ती हुई
तो कभी असीम प्यार
बरसाती हुई सी।
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7 JAN 2021 AT 14:52
बड़ी ज़ोर से गर्जा है बिन मौसम बादल
कहीं उजड़ा तो नहीं किसी आंखो का काजल!
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12 JUL 2020 AT 18:18
बादाल आते है गरजने के लिए
दिए जलते है बुझने के लिए
फूल खिलते है मुरझाने के लिए
याद आती है तड़पाने के लिए
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16 JUN 2020 AT 17:00
प्यार करो तो बादलों की तरह....जो गुस्सा अगर हो भी जायें तो गरज के अपने होने का एहसास दिलाते हैं
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6 SEP 2020 AT 12:56
यह गरजना कुछ पलों का होगा...
हम डर नहीं सकते इससे....
ज़िन्दगी का संघर्ष भी ऐसा ही हैं,
हम हार नहीं सकते उससे...-