उफ्फ्फ .. प्रिय..
तुम्हारा ये इश्क़ का सब्जेक्ट
गणित के सब्जेक्ट से कम नहीं है
देखो ना..
तुम्हारे त्रिकोणमितीय से नखरे
अवकलन, समाकलन से बेतुके
सवाल...
और आव्यूह सी तुम्हारी आदत
मुझे खुद में उलझाने की..
मुझे गणित की शिक्षिका बना
जाती है 😄😄-
क्या मेरा “इश्क” गणित के सवालों जैसा है,
जो तुझे आज़ तक, समझ नहीं आ रहा है...!
बहुत देर हो गई तुझे, मेरा प्रेम पत्र पढ़ते~पढ़ते
कहीं इंग्लिश की तरह, मेरे दिल की बात भी पढ़ नहीं पा रही है...!!
😂😂😇😛🤔😛😇😂😂
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मेरा गणित थोड़ा कच्चा था,शायद अभी भी
maths मे कभी पूरे अंक नहीं आये
एक दफ़ा छोड़ कर
पर कभी किसी ने डाटा नहीं
क्युकि बाकी सब विषयो के अंक मे ये छुप जाता था
ये तो बचपन का था गणित.....
अब!अब तो डाट पड़ती है हिसाब गलत होने पर
आज गर कोई ज़िंदगी का हिसाब गलत होता तो पुरी ज़िंदगी ही शुन्य हो जाती
काश! तुम्हारे रिश्ते मे भी मैने गणित लगाया होता
एक एक दिन,रात,दुख,दर्द,आसू,का भी हिसाब सही से लगाया होता
तो आज शायद मै fail नहीं होती
पर ठीक है न!!
मेरी गणित की गलती ना ही बचपन मे मेरा कुछ बिगाड़ पायी,ना ही आज का गणित
वो क्या है न तुम तब भी गणित मे अव्वल थे और आज भी
इसलिये आज भी तुम सारे हिसाब मे मुझ पर भारी पड़े
तो क्या हुआ मै हार गई तुमसे
कभी कभी रिश्तो के गणित मे
हारना भी ज़रुरी होता है पर
तुम नहीं समझोगे क्युकि
तुम तो हर हिसाब मे अव्वल थे,हो और शायद हरदम रहोगे-
इश्क़ नही मुझसे खेला गया है ..
पहले खुद को मुझसे "जोड़ा" और मेरे अपनों को मुझसे "घटाया" गया है , खुद को किसी और से "गुणा" कर मुझे "भाग" किया गया है ; इस जोड़ , घटाव , गुणा और भाग के संक्रियाओं को इश्क़ नही 'अंकगणित' कहा गया है..!!
(I'm mathematics student....💔💔)
+-×÷ = इश्क़😀😀-
कैसे समझाऊँ मै उसको प्रेम का व्याकरण, वो रसायन विज्ञान पढी है, और मै गणित
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आपकी इस गणितीय मोहब्बत
मे ना हम डिफरन्सिएट होंगे
ना ही इंतिग्रैट,,,
क्युकी हम ठहरे ई टू दि पॉवर एक्स...
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गणित के किसी कठिन सवाल सी हूँ,
हर किसी को समझ आऊँ जरूरी तो नहीं।-
जितना भी रो लो यहाँ कोई सुनने वाला नहीं !
ये दुनिया वो function है साहब, इंसानियत जिसके domain में ही नही !!-
जितने के लिए कलकुलेटर खोजती
उसका हिसाब अंगुलियों से कर दूं।
मुझसे सवाल करने वाली ओ !मोहतरमा
चाहूँ तो अभी तुझे लाजवाब कर दूं।।-