चांद तारों की ख़्वाहिश है...
इस कबख़्त दिल को,चांद तारों की बड़ी ख़्वाहिश है,
कभी पूरी होगी क्या? यही जिंदगी की फ़रमाइश है|
चांदी का पंख लगाकर ,अंतरिक्ष में उड़ना चाहता है,
बित्ते की लंबाई से "क्षितिज"माप लेने की पैमाईश है|
हीरे -मोतियों की बारिश हो ,घर सिक्कों से भर जाए,
दुनिया में रौशनी-रौशनी हो ,अज़बों-ग़रीब नुमाइश है|
ख़्वाब ऐसे देखे जैसे कोई, सुखागार की रहवासी हो,
अजी हम धरती के रहने वाले है, इसी में गुंजाइश है|
दुनिया जो कहती है कहे ,ख़्वाबों का साथ न छोडूंगा,
आधी तो पूरी कर ही लूंगा , यही मेरी आजमाईश है|
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