प्यार सच्चा था चेहरे से
मुस्कुराहट नही हटा पा रहे हो
आँखो में नमी और चेहरे पर दर्द है
होठों से मुस्कुराहट नहीं हटा पा रहे हो
रग रग में नाम गूंज रहा है उसी का
लफ़्ज़ों में लाने से डगमगा रहे हो
कहते हो जगह खाली है
पर जगह देने से कतरा रहे हो
जहन में ख्याल है उसी का
किसी और को लेने से घबरा रहे हो
खुद में तुझको डाल दिया
सच है प्यार लफ़ज़ोमे कहा।।
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मैं जानता हूं-३.............
चुप रहो कुछ न कहो मैं ये फ़र्क बख़ूबी जानता हूं
गऱीबी इतने क़रीब से देखी है मैंने कि सब बिखरा
मेरा अपना सिर्फ़ पैसों की वज़ह से
इस ज़िंदगी में मैं पैसों का महत्त्व जानता हूं
ग़रीब होना ग़लत नहीं सीख मिलती है हमेशा
पर सब जब ख़तम सा हो जाये सबकुछ
तो कैसे कटती है ये ख़ुद पर हुआ सितम जानता हूं
चाहे हालात अच्छे हो या न हो तुम्हारेअक़्सर
लोग ख़ैरियत से पहले हैसियत पूछ लेते हैं
बताने की ज़रूरत नही मैं कितना हूं कहां तक हूं
दूसरे क्या बताएंगे मैं औक़ात अपनी बख़ूबी जानता हूं
चुप रहो कुछ न कहो मैं सारे फ़र्क बख़ूबी जानता हूं
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एक अजीब ही पहेली हैं हम
खुद में ही उलझी और खुद की ही सहेली हैं हम...
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शामिल करके हमें खुद में ही
सुना है वो हमारा पता आजकल औरो से पूछ रहें हैं.....-
सिमट जाना चाहती हूँ ,,,,,,,,,
खुद में!!!!!!!
खो जाना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,
खुद में!!!!!!
क्योकि मैं जानती हूँ ;
मेरी पहचान हैं केवल ,,,,
मुझ में!!!!!!!!-
क्या हसीं ख्वाब था ये भी
कि हर सुबह शामिल रहे तू मुझमें
मैं हर रात तुझमें बिताऊँ.......-
बिठाके दिल में मुझे, ढूंढते है ज़माने में 💕
रूंठी जो धड़कने, लगा दिल सहलाने में💕
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बे पता हो गया हूं तुम्हे देखने के बाद
खोल दरवाजा ऐ हसी मुझै दिल मे उतरना है..,-