सालों बड़े सुकून से रहा मैं तिरगी में
उजाले आइ मौत का पैगाम लेकर-
मृणाल श्रीवास्तव
(माधवा)
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Joined 11 May 2020
28 MAR AT 23:13
इश्क को हसरत है जुदाई की
दर्द मिलते हैं दिल मिलाई की
नही मिलती वफ़ा इस ज़माने में
महबूब खुश होता है सताने में
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28 MAR AT 23:05
आजमाने के चक्कर में हैंडसम को खो दिया
शादी हुई तो पोपला दुल्हा मिल गया-
25 MAR AT 13:14
हम प्यार में खुद को खो बैठे, पर उनको शिकायत है मुझसे
मेरी बाहों रहने की तमन्ना से अब बगावत है उनको
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25 MAR AT 13:08
मिट्टी की मूरत को संगीन पत्थर बना दिया
हमारे प्यार ने उस पत्थर को नायाब मूरत बना दिया-
25 MAR AT 11:57
हमने भी गुजारी है फुरकत के वो हजारों पल
आज नही है तो क्या फिर आएंगे वो कल-
25 MAR AT 11:53
तू बोल नही सकता पर वफादार बहुत है
इस दुनिया में नहीं रंगा तू तुझमें प्यार बहुत है-
25 MAR AT 11:44
शायद
मुझे प्यार करने का तरीका नहीं आया
और तुम्हें सम्हालने का सिलिका नहीं आया-